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सुरीली आँखों वाली हीरोइन जो ड्राइवर से प्यार करती थी जीवनभर कुंवारी रही और दुखद अंत हुआ

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टीआर राजकुमारी को तमिल सिनेमा की पहली ड्रीम गर्ल कहा जाता है। उनकी शरारती और चमकती आंखों ने दर्शकों को दीवाना बना दिया। लेखक कल्कि ने उन्हें “कोलुम विजियाल” यानी “मारक निगाहों वाली” कहा था।

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निर्देशक के. सुब्रमण्यम ने राजायी नाम की इस बच्ची को देखा और उनकी शरारतों से प्रभावित होकर उन्हें फिल्मों में मौका दिया। फिल्म कच्च देवयानी (1941) से उन्होंने डेब्यू किया और नाम बदलकर “टीआर राजकुमारी” रख दिया।

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टीआर राजकुमारी तमिल के पांच सुपरस्टार्स—थियागराज भगवदार, पीयू चिन्नप्पा, टीआर महालिंगम, एमजीआर और शिवाजी गणेशन—के साथ काम करने वाली पहली एक्ट्रेस बनीं। यह उपलब्धि तमिल सिनेमा इतिहास में एक मील का पत्थर है।

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चेन्नई के पांडिबाजार में उनके नाम पर “टीआर राजकुमारी थिएटर” बनाया गया। इस थिएटर का उद्घाटन एसएस वासन ने किया। वह तमिल सिनेमा में खुद का थिएटर रखने वाली पहली एक्ट्रेस बनीं।

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अपने भाई टीआर रामन्ना के साथ मिलकर उन्होंने “आरआर पिक्चर्स” प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। इस बैनर के तहत कुंडुक्किली जैसी चर्चित फिल्में बनीं, जिसमें एमजीआर और शिवाजी गणेशन पहली और आखिरी बार साथ नजर आए।

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राजकुमारी का दिल उनके ड्राइवर राघवन पर आ गया था। परिवार को जब यह रिश्ता पता चला, तो राघवन को बुरी तरह पीटा गया। इस घटना के बाद राजकुमारी टूट गईं और कभी शादी न करने का फैसला लिया।

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जब वह टॉप हीरोइन थीं, पुदुकोट्टई के राजा ने शादी का प्रस्ताव दिया था। राजकुमारी ने यह रिश्ता ठुकरा दिया, जिससे स्पष्ट हुआ कि वह पहले से किसी से प्रेम करती थीं।

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साल 1999 में बिना शादी किए उनका निधन हो गया। आज भी वह तमिल फिल्म इंडस्ट्री की एक मिसाल हैं, जिनकी खूबसूरती, अदाकारी और अनकही प्रेम कहानी लोगों के दिलों में बसती है।

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