रविवार के बाद सोमवार ही क्यों आता है इसका रहस्य वैदिक ज्योतिष में छिपा है न कि बुधवार या शनिवार
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सप्ताह के 7 दिन—रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार—का क्रम कोई संयोग नहीं, बल्कि यह वैदिक ज्योतिष की गहरी गणना पर आधारित है। विशेष रूप से सवाल उठता है कि रविवार के बाद सोमवार ही क्यों आता है, न कि बुधवार या गुरुवार?
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वैदिक परंपरा के अनुसार, सप्ताह की शुरुआत सूर्य से होती है, जो संडे का प्रतीक है। चूंकि सूर्य जीवनदाता और सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है, इसलिए सप्ताह का पहला दिन रविवार होता है। इसके बाद क्रमश: अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर दिन तय किए गए हैं।
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वैदिक ज्योतिष में 'होरा' नामक एक विशेष गणना पद्धति है, जो हर दिन के पहले घंटे (घड़ी) के स्वामी ग्रह पर आधारित होती है। यह पद्धति यह तय करती है कि कौन सा दिन किस ग्रह को रेप्रिज़ेन्ट करेगा।
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'होरा' के अनुसार, सूर्य की पहली होरा के 24 घंटे बाद जो अगला 25वां घंटा आता है, वो चंद्रमा (सोमवार) का होता है। इसी क्रम में मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि के दिन आते हैं। इस वैज्ञानिक और खगोलीय आधार पर रविवार के बाद सोमवार आता है।
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कुछ लोग सोचते हैं कि सूर्य के बाद बृहस्पति या शनि जैसे बड़े ग्रहों का दिन आना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। वैदिक गणना में ग्रहों का आकार या दूरी नहीं, बल्कि होरा चक्र की गणना दिन के क्रम को तय करती है।
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प्रसिद्ध नवग्रह शांति मंत्र में भी सूर्य (भानु), चंद्र (शशि), मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि का क्रम वही है जो सप्ताह के दिनों में देखा जाता है। यह मंत्र भी इस वैदिक क्रम की पुष्टि करता है।
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सप्ताह के दिन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में समान रूप से माने जाते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि वैदिक ज्योतिष की गणना पद्धति न केवल प्राचीन है बल्कि विश्वसनीय और वैज्ञानिक भी है।
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रविवार के बाद सोमवार आने का कारण केवल धार्मिक आस्था नहीं है, बल्कि यह astronomical science और ज्योतिष शास्त्र का अद्भुत संगम है। यह सिस्टम हजारों वर्षों से चली आ रही है और आज भी हमारे जीवन का हिस्सा है।
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