"एक शराबी की बात ने खोल दी प्रेमानंद महाराज की आंखें, ऐसा ज्ञान दिया कि जीवन की दिशा ही बदल गई — अगर आपने भी समझ लिया, तो आपकी किस्मत भी संवर सकती है!"
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प्रेमानंद महाराज 18-19 वर्ष की आयु में ब्रह्मावर्त बिठूर में गंगा किनारे भ्रमण कर रहे थे, तभी अचानक एक शराबी ने उन्हें रोका और पास बुलाया।
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शराबी नशे में था और उसके मुंह से शराब की दुर्गंध आ रही थी। महाराज ने उससे पूछा, "क्यों बुलाया है, क्या कहना चाहते हो?"
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शराबी ने महाराज से कहा, "मेरे साथ चलो" और उन्हें एक मंदिर में ले गया जहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित थी।
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शराबी ने मूर्ति की ओर इशारा करते हुए पूछा कि ये क्या है? और यह किस चीज़ से बनी है? महाराज ने उत्तर दिया — संगमरमर।
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शराबी ने कहा — "जो संगमरमर मूर्ति बन गया, वह पूज्य बन गया। जो संगमरमर नीचे टूट गया, वह पैरों तले रौंदा जा रहा है।"
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शराबी ने कहा — "हे बाबा! तू टूटना मत। जो नहीं टूटा, वही भगवान बनता है। टूटे तो लोग पैरों तले कुचलते हैं।"
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यह घटना बताती है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए। यदि हम अपने थ्योरी पर अडिग रहें तो धार्मिक बन सकते हैं।
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यदि कोई व्यक्ति इस घटना में छिपे संदेश को समझ ले, तो उसकी सोच और किस्मत दोनों बदल सकती हैं — बस, जीवन में कभी न टूटने का संकल्प लेना होगा।
Premanand Maharaj :”जब प्रेमानंद महाराज का हुआ प्रेत से आमना-सामना, छाती पर बैठ गया वह साया, सांसें थमने लगीं, जटाएं पकड़ लीं… जानिए आगे क्या हुआ!”