बरबासपुर (मंडला) में जन्मी दुर्गाबाई को पद्मश्री उनके द्वारा बनाई गई आदिवासी भोंडी भित्त चित्रों (डिगना) की वजह से मिला है। दुर्गा बाई की चित्रकारी की विशेषता है कि यह खुद ब खुद ही पूरी कथा कह जाते हैं।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के हरपालपुर में रहने वाले डॉ. अवध किशोर जड़िया को पद्मश्री पुरस्कार उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए दिया गया है।

बैगा लोक कला के ध्वजा वाहक डिंडोरी जिले के अर्जुन सिंह ध्रुवे पिछले कई सालों से इस जनजातीय कला को मशहूर बनाने के कार्य में लगे हुए हैं।

सागर जिले के ग्राम मडधार पठा में जन्मे रामसहाय पांडे को पद्मश्री सम्मान उनके द्वारा किए जाने वाले राई नृत्य की वजह से मिला है। कमर पर बंधा मृदंग और नाचते, पलटी खाते राम सहाय पांडे केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने राई नृत्य से लोगों का मनोरंजन कर चुके हैं।

भोपाल गैस त्रासदी के समय बिना सोए लगातार मरीजों का इलाज करने वाले स्वर्गीय डॉक्टर एनपी मिश्रा मध्य प्रदेश के मेडिकल क्षेत्र में पितामह के रूप में पहचाने जाते थे। पिछले साल 5 सितंबर को मेडिकल के इस पितामह ने सभी से अलविदा कहा था।