थाली में जूठा भोजन क्यों बनता है देवी अन्नपूर्णा के क्रोध का कारण जानें धार्मिक व सामाजिक असर

हिंदू मान्यता है कि थाली में जूठा छोड़ना अन्न का अपमान है, जिससे देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न नहीं होतीं और घर की समृद्धि कम हो सकती है।

मान्यता है कि भोजन बर्बाद करने से पितर नाराज होते हैं और परिवार पर पितृ दोष का असर पड़ सकता है।

शास्त्रों के अनुसार जूठा छोड़ने से घर में नेगटिव एनर्जी प्रवेश करती है, जिससे कलह और अशांति बढ़ती है।

धार्मिक मान्यता है कि अन्न का अनादर करने से अगले जन्म में गरीबी या भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है।

आज भी करोड़ों लोग भूखे सोते हैं, ऐसे में भोजन बर्बाद करना इन्सेनसीटिविटी और सोशल अपराध माना जाता है।

घर के बुजुर्ग हमेशा यही सलाह देते हैं कि उतना ही भोजन थाली में लें जितना आप खा सकते हैं, ताकि अन्न व्यर्थ न जाए।

भोजन को देवी अन्नपूर्णा का प्रसाद माना गया है, इसलिए इसे हमेशा आदर और कृतज्ञता के साथ ग्रहण करना चाहिए।

अगर खाना बच जाए तो उसे फेंकने की बजाय गाय, कुत्ते, पक्षियों को खिलाएं। इससे पुण्य मिलता है और अन्न का अपमान भी नहीं होता।

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