स्कूल की छत से टपकता पानी, छाता लेकर पढ़ते नौनिहाल, कैसे बढ़ेंगे, कैसे पढ़ेंगे, जिम्मेदार क्यों हैं मौन

नर्मदापुरम जिले के ग्राम मेहराघाट के शासकीय प्राथमिक शाला की हम बात करें तो यह भवन 25 वर्ष पुराना हो गया है। शाला के कमरों की यह हालत हो गई है कि छत से पानी टपक रहा है और इसी पानी टपकती छत के नीचे बच्चे छाता लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं।

children study with umbrellas

Narmadapuram News : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा को लेकर बहुत गंभीर हैं और समय समय पर इसपर अपडेट भी लेते रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग के अफसर उनकी इस मंशा को पलीता लगा रहे हैं ऐसा ही मामला नर्मदापुरम जिले से सामने आया है जहाँ एक स्कूल के बच्चे छाता लगकर क्लास में पढ़ने को मजबूर हैं, खास बात ये है कि विभाग के आला अधिकारियों को स्कूल की छत टपकने की खबर है लेकिन वे मौन साढ़े हुए बैठे हैं।

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के ग्राम मेहराघाट स्थित शासकीय प्राथमिक शाला भवन जर्जर हालत में पहुँच गया है।लगातार बारिश होने से शाला के कमरों की छतों से पानी टपक रहा है। शाला में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को छाता लगाकर कमरों में बैठाना पड़ रहा है। छतों से पानी टपकने की वजह से पहली कक्षा से लेकर पांचवी तक के विद्यार्थियों को एक ही कमरों में बैठाकर शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जा रहा है। जिस एक कमरे में विद्यार्थी बैठकर पढ़ रहे है, उसकी छत से भी पानी टपक रहा है।

छाता लेकर क्लास में बैठते हैं बच्चे 

मध्य प्रदेश की सरकार सर्व शिक्षा अभियान चलाकर शासकीय स्कूलों की दशा सुधारने में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन स्कूलों की दशा सुधर नहीं रही है। कहीं स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं तो कही स्कूल परिसर बारिश में तालाबों में तब्दील हो गये हैं । हम ऐसे ही एक स्कूल की दुर्दशा को बता रहे है, जहाँ बच्चे छत पर से टपकते पानी के बीच बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

स्कूल की हालात की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को है, लेकिन कोई एक्शन नहीं 

नर्मदापुरम जिले के ग्राम मेहराघाट के शासकीय प्राथमिक शाला की हम बात करें तो यह भवन 25 वर्ष पुराना हो गया है। शाला के कमरों की यह हालत हो गई है कि छत से पानी टपक रहा है और इसी पानी टपकती छत के नीचे बच्चे छाता लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं। शाला के प्रधान पाठक ने छत से पानी टपकने की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित में की है लेकिन छत के मरम्मत कार्य करने की वजह उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आश्वास दिया जा रहा है।

नर्मदापुरम से राहुल अग्रवाल की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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