यही कारण है कि पायलट शनिवार को कैबिनेट बैठक में नही पहुंचे थे।सुत्रों की माने तो पायलट दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। चर्चा तो यह भी है कि वह बीजेपी के संपर्क में हैं। इन चर्चाओं को तब और बल मिला जब शनिवार देर रात गहलोत की बुलाई बैठक में उनके समर्थक कई मंत्री शामिल नहीं हुए। पूरे सियासी घटनाक्रम पर पायलट की तरफ से अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने आरोप लगाया है कि बीजेपी उनकी सरकार गिराना चाहती है और इसके लिए राज्य बीजेपी नेतृत्व केंद्र के इशारे पर बेशर्मी पर उतर आया है।अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि बीजेपी बकरे की मंडी की तरह विधायकों को खरीदना चाहती है, इसके लिए 25-25 करोड़ के ऑफर दिए जा रहे हैं। जैसे 4-5 महीने पहले मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर बोल रही थी। गहलोत का दावा है कि विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये का लालच दिया जा रहा है। बीजेपी इसे कांग्रेस की आपसी गुटबंदी से ध्यान भटकाने की कवायद करार दे रही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का सीधे नाम लेते हुए कहा, ‘ये लोग केंद्रीय नेताओं के इशारे पर राजस्थान में सरकार को गिराने के लिए खेल खेल रहे हैं। एक तरफ राज्य सरकार काेराेना से लड़ रही है लेकिन भाजपा सरकार गिराने की कोशिशों में लगी है।’ उन्होंने कहा कि जैसे बकरा मंडी में बकरे बिकते हैं, भाजपा उसी ढंग से खरीदकर राजनीति करना चाहती है…इनकी बेशर्मी की हद है।
बता दे कि सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री है। 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही सीएम पद की रेस में थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने अशोक गहलोत को सीएम पद की जिम्मेदारी दी और सचिन पायलट को उनका डिप्टी बनाया गया। गहलोत और पायलट के बीच सत्ता संतुलन बिठाने के लिए सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया।
गौरतलब है कि बीते महिनों पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नाराज होकर 22 समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और गिर गई। बीजेपी ने बहुमत साबित किया और सरकार बना ली। 4 महीने पहले मध्य प्रदेश में जो कुछ हुआ और आज राजस्थान में जो कुछ हो रहा है, उनमें बहुत समानताएं हैं। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के 22 विधायकों का इस्तीफा कराकर कमलनाथ सरकार को गिरा दिया था। विधायकों को पहले गुड़गांव और बाद में बेंगलुरू के होटल में ठहराया गया था। कमलनाथ के सामने तब युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया थे तो अब गहलोत के सामने युवा डेप्युटी सीएम सचिन पायलट हैं। पायलट 3 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दूसरी तरफ राजस्थान कांग्रेस के कई विधायक शनिवार रात से ही गुड़गांव के ही मानेसर में एक बड़े होटल में रुके हुए हैं। कई विधायकों के मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ हैं।