बीजेपी नेता ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘कल जब मुझे 4 अगस्त को अयोध्याजी पहुंचकर 6 तारीख तक वहां रहने का निर्देश राम जन्मभूमि न्यास की ओर से मिला तो मैंने आप सबसे इसकी जानकारी शेयर की। जानकारी देना इसलिए जरूरी लगा क्योंकि आप सब मुझसे निरंतर इस संबंध में प्रश्न कर रहे थे। उन्होंने आगे लिखा ‘जानकारी व्यापक होने के बाद मीडिया जगत के मेरे सभी भाई-बहन इंटरव्यू या बाइट लेने का आग्रह कर रहे हैं, इस पर मेरा आप सबसे निवेदन है कि मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है कि मैंने अयोध्या अभियान में भागीदारी की है।
उमा ने लिखा-अब मेरे जीवनकाल में ही मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। पूरे भारतवासियों की तरफ से हमारे प्रधानमंत्रीजी इसका शुभारंभ करेंगे। यह गर्व और आनंद का विषय है। किंतु अयोध्या अभियान में स्वयं के किसी पराक्रम का उल्लेख करना मुझे शर्मिंदगी में डालता है। क्योंकि 500 साल तक चले इस अभियान में लाखों लोगों के प्राणों की आहुति हुई है। पहले युद्ध हुए, फिर संघर्ष हुए, 1984 से अभियान चला तब भी इस दरम्यान बहुत कारसेवक शहीद हुए, कई परिवार नष्ट हो गए, कई जिंदगानियां खप गईं, उन्हीं सबका परिणाम है- आंदोलन की गति कम नहीं हो पाई। इसलिए हमें उनका यश और पराक्रम याद रखना है। हम उनके सामने कहीं नहीं ठहरते, हम तो जिंदा रह गए और हमारे जीवन की गति आगे चली। इस अभियान के लाभ या हानि पार करके अब हम उस दिन अयोध्या में होंगे, यह मेरे जीवन का एक ऐसा क्षण होगा। इसकी तुलना हजारों जिंदगानियों से भी नहीं की जा सकती।
उमा भारती ने बताया कि विशेषज्ञों की चेतावनी के अनुसार, जुलाई और अगस्त में कोरोना महामारी विकराल रूप धारण करती जा रही है, ऐसी स्थिति में हम भले ही अयोध्या में हों, किंतु शिलान्यास स्थल पर कौन लोग मौजूद होंगे- यह अंतिम घड़ी तक स्पष्ट नहीं हो सकता। जैसे नदियां समुद्र में समा जाती हैं हम सब नरेंद्रमोदीजी में समा गए हैं। उनकी शिलान्यास स्थल पर उपस्थिति ही हम सबकी उपस्थिति है। हम प्रार्थना करें कि प्रभु श्रीराम की जय हो, क्योंकि वही इस अभियान के नायक हैं। हम सब यह कामना करें कि अब हमारे देश में राम राज्य की भी शुरुआत हो, जहां सबको मानवाधिकार तथा सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिले। मेरे जितने भी लोग परिचित हैं, वह जहां हैं यदि मेरे इस ट्वीट को पढ़ रहे हैं तो उन सब से मेरी अपील है कि सब अपने घर से ही इस आनंद के पर्व में भागीदारी करें।
उन्होंने लिखा-मैं भारत के हिंदुओं के अलावा सभी धर्मावलंबियों से अनुरोध करूंगी कि यह सबके लिए ही शांति और आनंद का क्षण है। यही भारत में एकात्मता की शुरुआत होगी। “एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति” अर्थात्, सत्य एक है, जिसे विद्वान विभिन्न नामों से बुलाते हैं। इसलिए हरेक की भावना का सम्मान और प्रतिष्ठा हो, यही हमारा संविधान कहता है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को इसकी पुष्टि कर दी है।