दुनिया क्यों है मधुबनी पेंटिंग की दीवानी, जानिये यह खास जानकारी

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अगर आपको साहित्य और कला में रूचि है तो आपने मधुबनी पेंटिंग के बारे में ज़रूर सुना होगा। मधुबनी चित्रकला अथवा मिथिला पेंटिंग मिथिला क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। इसकी शुरूआत रंगोली के रूप हुई फिर धीरे धीरे यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो,दीवारों व कागज पर की जाने लगी। शुरू में इसे मिथिला की स्त्रियों द्वारा किया जाता था, लेकिन जैसे जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई, इस चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है।

 मधुबनी पेंटिंग मुख्य रूप से दो तरह की होती हैं- भित्ति चित्र और अरिपन या अल्पना। भित्ति चित्र को मिट्टी से पुती दीवारों पर बनाया जाता है। इसे घर की तीन ख़ास जगहों पर ही बनाने की परंपरा है, जैसे भगवान व विवाहितों के कमरे में और शादी या किसी ख़ास उत्सव पर घर की बाहरी दीवारों पर। मधुबनी चित्रकला में जिन देवी-देवताओं को दिखाया जाता है उनमें मां दुर्गा, काली, सीता-राम, राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, गौरी-गणेश और विष्णु के दस अवतार शामिल हैं। मान्यता है कि ये कला राजा जनक ने राम सीता के विवाह के दौरान प्रारंभ हुई।


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