कोरोना को खत्म करने के लिए माता का एक भक्त कर रहा कड़ी तपस्या, दो चम्मच लेता है जल

A devotee of Mata doing austerities to end Corona

बैतूल,वाजिद खान। बैतूल में एक देवी भक्त की तपस्या देख कोई भी हैरान हो जाये । नवरात्र के पर्व पर भक्त अलग-अलग तरीके से पूजा अर्चना करते है और भक्ति करते है। साथ कुछ लोग अपने शरीर पर ज्वारे भी लगाते है ,लेकिन अभी कोरोना महामारी भी फैली हुई। इस महामारी से समाज को बचाने के लिए एक शख्स ने अपने शरीर पर ज्वारे उगाए है ।

बैतूल के अम्बेडकर वार्ड में रहने वाले देवी भक्त ललित राठौर ने नवरात्र पर्व पर अपने घर में माता का घट स्थापना के साथ ही कोरोना से समाज को बचाने के लिए माता की 9 दिन की कठिन तपस्या करने का प्रण कर अपने शरीर पर ज्वारे उगा लिए है।  साथ ही माता की भक्ति करते हुए उनके चरणों में लेटा है | इतना ही नही ललित पूरे 9 दिनों तक आहार के रूप में सिर्फ दो चम्मच ताप्ती जल लेते है वो भी सुबह और शाम।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।