दरभंगा में वोटर अधिकार यात्रा की समीक्षा बैठक के दौरान राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी का बयान सुर्खियों में आ गया। उनके कुछ कथनों को मीडिया में गलत तरीके से पेश किए जाने की चर्चा रही। सिद्दीकी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि “देश कांग्रेस का गुलाम हुआ करता था।” उनका कहना था कि देश अंग्रेजों का गुलाम था और कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। सिद्दीकी का यह बयान राजनीतिक गलियारों में विवाद का विषय बन गया।
बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप
सिद्दीकी ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा कि देश कांग्रेस का गुलाम था। उन्होंने साफ किया कि उनका बयान हमेशा यही रहा कि भारत अंग्रेजों का गुलाम था, न कि कांग्रेस का। सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने कार्यक्रम का वीडियो भी देखा और उसमें उन्होंने ‘कांग्रेस’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। उनका मकसद किसी धर्म या समुदाय को आहत करना नहीं था।
सेकुलरिज्म और हिंदू समाज पर टिप्पणी
अपने बयान में सिद्दीकी ने यह भी कहा कि हिंदू भाइयों को यह समझाने की जरूरत है कि सेकुलरिज्म क्या है, सोशलिज्म क्या है, संविधान क्या है और हमारे पूर्वजों का इतिहास क्या है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मुश्किल समय में साथ देने वाला ही सच्चा दोस्त होता है। इसके जरिए उन्होंने मौजूदा राजनीतिक स्थिति और सभी धर्मों के योगदान पर ध्यान खींचा।
भाजपा पर निशाना
सिद्दीकी ने भाजपा को लेकर भी टिप्पणी की और कहा कि यह ‘थेथर पार्टी’ है और इसे देश से माफी मांगकर सत्ता छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने बड़े दुश्मन को हराने के लिए छोटे दुश्मन से दोस्ती करने की बात भी कही। उनके इस बयान ने विपक्षी दलों में हलचल मचा दी और राजनीतिक गलियारों में इसे राजद के लिए असहज करने वाला माना गया।
सफाई और साजिश का आरोप
विवाद बढ़ने पर सिद्दीकी ने सफाई दी और कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि साजिशकर्ताओं की पहचान सबको पता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका मकसद किसी धर्म या समुदाय को अपमानित करना नहीं था।
सभी धर्मों का सम्मान
सिद्दीकी ने स्पष्ट किया कि भारत की आजादी में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी ने मिलकर योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने हमेशा सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करना सिखाया। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम या किसी भी धर्म के बीच बांटने वाली राजनीति को निंदनीय बताया।





