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Wed, Dec 17, 2025

बिहार में चुनावी ‘महाभारत’! जमीन पर रैलियां या सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स, कौन मारेगा बाजी? जानें क्या कहते हैं आंकड़े।

Written by:Deepak Kumar
Published:
बिहार में चुनावी ‘महाभारत’! जमीन पर रैलियां या सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स, कौन मारेगा बाजी? जानें क्या कहते हैं आंकड़े।

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार चुनाव में जंग दो मोर्चों पर लड़ी जा रही है – एक जमीन पर रैलियों, यात्राओं और रोड शो के जरिए, जबकि दूसरा सोशल मीडिया के डिजिटल मैदान में। राजनीतिक दल अब केवल मंच और भाषण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय होकर अपने संदेश लाखों लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

डिजिटल फॉलोअर्स की ताकत

इस चुनाव में सोशल मीडिया पर पार्टियों की मौजूदगी काफी महत्वपूर्ण साबित हो रही है। बीजेपी के फेसबुक पेज पर 11 लाख और एक्स (ट्विटर) पर 7 लाख फॉलोअर्स हैं। जेडीयू के फेसबुक पर 9 लाख और एक्स पर 3.11 लाख फॉलोअर्स मौजूद हैं। वहीं आरजेडी इस मोर्चे पर सबसे मजबूत दिख रही है, जिसके फेसबुक पेज पर 13 लाख से ज्यादा और एक्स पर 11 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। यह संख्या यह दर्शाती है कि सोशल मीडिया पर सक्रियता चुनाव की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।

प्रचार का नया अंदाज

चुनावी प्रचार अब केवल भाषण और पोस्टर तक सीमित नहीं है। पार्टियां रैप गानों, एआई तकनीक, वायरल वीडियो, मिम्स और बॉलीवुड डायलॉग का इस्तेमाल करके विरोधियों पर तंज कस रही हैं। सोशल मीडिया रील्स, मेम्स और वायरल पोस्टर्स के जरिए माहौल गर्माया जा रहा है। युवा वर्ग और शहरी क्षेत्र में इस रणनीति का असर तेजी से दिखाई दे रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक रैलियों और यात्राओं के साथ डिजिटल प्रचार का संयोजन नजर आ रहा है।

मुद्दों पर चुनावी घमासान

बीजेपी बिहार में आरजेडी और कांग्रेस को परिवारवाद, भ्रष्टाचार और जंगलराज के मुद्दों पर घेर रही है। वहीं महागठबंधन बेरोजगारी, पलायन और वादा खिलाफी को लेकर एनडीए पर निशाना साध रहा है। पार्टियों के इस टकराव से चुनावी माहौल और भी गर्म और बहसों से भरा हुआ दिख रहा है।

विशेषज्ञ और नेताओं की राय

वरिष्ठ पत्रकार संतोष यादव का कहना है कि इस बार सोशल मीडिया चुनाव प्रचार का बड़ा हथियार बनेगा। उन्होंने कहा, “प्रशांत किशोर की पार्टी सबसे ज्यादा सक्रिय है। बीजेपी और जेडीयू आगे हैं, जबकि आरजेडी तेजी से पकड़ बना रही है।”

बीजेपी प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा कि “हम युवाओं को बताना चाहते हैं कि राजद-कांग्रेस के शासन में बिहार कैसा था। इसलिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं।” वहीं आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने दावा किया कि “हमने जनता के मुद्दों को सोशल मीडिया पर बेहतर ढंग से रखा है। जमीन पर वोटर अधिकार यात्रा से हमें व्यापक समर्थन मिला है।”

चुनाव की जीत का अहम रास्ता

इस बार का चुनाव साफ दिखा रहा है कि केवल रैलियों और रोड शो से नहीं, बल्कि डिजिटल जंग के माध्यम से भी जीत का रास्ता तय होगा। पार्टियों की सोशल मीडिया रणनीति और डिजिटल सक्रियता युवा मतदाताओं तक सीधे संदेश पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में इस बार सोशल मीडिया प्रचार का असर जमीन पर वोटिंग के परिणामों में भी दिखाई देगा।