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Mon, Dec 15, 2025

बिहार चुनाव से पहले बड़ा खेल! ललन सिंह और अनंत सिंह की जुगलबंदी से JDU में मची हलचल, जानें क्या है असली वजह?

Written by:Deepak Kumar
बिहार चुनाव से पहले बड़ा खेल! ललन सिंह और अनंत सिंह की जुगलबंदी से JDU में मची हलचल, जानें क्या है असली वजह?

पटना की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। 2025 विधानसभा चुनाव से पहले आज (30 अगस्त) को पटना से मोकामा तक होने वाली रैली ने नए सियासी समीकरण खड़े कर दिए हैं। इस रैली में केंद्रीय मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह तथा बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह एक साथ नजर आने वाले हैं। सुबह 9 बजे दोनों नेता पटना से सड़क मार्ग से मोकामा रवाना होंगे और वहां जनसंपर्क अभियान में शामिल होंगे।


धुर विरोधी अब साथ-साथ

सियासत में अब तक एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले इन नेताओं का एक साथ आना बड़ी राजनीतिक चर्चा का विषय है। खासकर इसलिए क्योंकि जेल से बाहर आने के बाद अनंत सिंह ने जदयू की टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। इससे पार्टी के भीतर असंतोष के स्वर तेज हुए हैं। जदयू नेता नीरज कुमार पहले ही अनंत सिंह के दावे पर हमला कर चुके हैं।


अनंत सिंह की वापसी और नई दावेदारी

अनंत सिंह को बाहुबली नेता के रूप में जाना जाता है। वे लंबे समय तक मोकामा की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। 5 अगस्त को पटना हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वे जेल से रिहा हुए और तुरंत चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी। उन्होंने साफ कहा कि वे मोकामा से दोबारा चुनाव लड़ेंगे। यह ऐलान जदयू के लिए चुनौती साबित हो सकता है क्योंकि अंदरूनी विरोध पहले से बढ़ा हुआ है।


ललन सिंह की भूमिका और राजनीतिक संकेत

ललन सिंह, जिनका असली नाम राजीव रंजन सिंह है, जदयू के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में केंद्र में मंत्री हैं। उनका सियासी सफर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। कभी नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत करने वाले ललन सिंह बाद में फिर से उनके करीब आ गए। अब अनंत सिंह के साथ सड़क यात्रा करना राजनीतिक गलियारों में बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।


मोकामा में बदलते समीकरण

मोकामा की जनता के बीच सीधा संवाद और ललन सिंह जैसे बड़े नेता का अनंत सिंह के साथ होना चुनावी गणित को बदल सकता है। इससे यह भी संकेत मिल रहा है कि पार्टी उन्हें टिकट देने पर विचार कर सकती है। लेकिन अंदरूनी विरोध कितना असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी।


जदयू के भीतर असंतोष की आहट

जदयू में पहले से कई गुट सक्रिय हैं। अनंत सिंह की वापसी और संभावित टिकट की चर्चा ने इस असंतोष को और बढ़ा दिया है। विरोधी नेताओं को लगता है कि बाहुबली छवि पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि समर्थक इसे जीत का फॉर्मूला मान रहे हैं।


चुनावी मौसम में नई हलचल

इस रैली को बिहार की राजनीति में आने वाले बड़े बदलावों की आहट माना जा रहा है। ललन सिंह और अनंत सिंह की जुगलबंदी सिर्फ मोकामा तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे राज्य के चुनावी समीकरण पर असर डाल सकती है। अब नजरें इस पर टिकी हैं कि जदयू का अगला कदम क्या होगा।