बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासत तेज हो गई है. विपक्षी महागठबंधन ने रक्षाबंधन के बाद पूरे राज्य में रैली और यात्रा करने का ऐलान किया है. इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव खुद शामिल होंगे. योजना के तहत कुल 9 प्रमंडलों में रैलियां की जाएंगी और जनता के बीच जाकर मौजूदा एनडीए सरकार की नाकामियों को उजागर किया जाएगा.
‘अगस्त क्रांति’ की तैयारी
पटना में मंगलवार को महागठबंधन की समन्वय समिति की बैठक हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए. बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, “हम अगस्त को ‘अगस्त क्रांति’ के रूप में मनाएंगे. रक्षाबंधन के बाद महागठबंधन के सभी बड़े नेता जनता के बीच जाकर सरकार की पोल खोलेंगे.” उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है और पिछले 10 दिनों में करीब 100 हत्याएं हो चुकी हैं. कैग रिपोर्ट में 70 हजार करोड़ का घोटाला सामने आया है और इस मुद्दे को लेकर हम गांव-गांव, बूथ-बूथ जाएंगे.
कांग्रेस का साथ और मुद्दों पर घेराबंदी
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने भी बैठक के बाद कहा कि महागठबंधन पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरेगा. राहुल गांधी खुद सभी नौ प्रमंडलों में रैली करेंगे. भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई और वोटर लिस्ट से नाम काटने जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा. कांग्रेस और राजद का कहना है कि जनता को सच्चाई बताने के लिए सीधी बातचीत जरूरी है, इसलिए नेताओं का गांव-गांव और जिले-जिले में पहुंचना तय हुआ है.
एनडीए का पलटवार और चुनावी समीकरण
विपक्ष के आरोपों पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि 70 हजार करोड़ का घोटाला दरअसल महागठबंधन के ही कार्यकाल का है. उन्होंने कहा कि हर पाई का हिसाब महालेखाकार को दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार के काम गिनाए, जैसे आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 से बढ़ाकर 3,000 रुपए करना. सम्राट चौधरी ने कहा कि यह चुनाव “नीतीश कुमार के विकास बनाम लालू यादव के विनाश” के बीच होगा. उन्होंने राहुल गांधी पर भी हमला करते हुए कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब आरक्षण के मुद्दे पर उतनी सक्रियता नहीं दिखाई गई, जितनी आज भाषणों में दिखती है.





