बिहार में चौथे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4) को लेकर अभ्यर्थियों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को शिक्षा विभाग ने घोषणा की कि परीक्षा दिसंबर में होगी और जनवरी में परिणाम जारी किए जाएंगे। इसके बाद पटना में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी धरना प्रदर्शन करने लगे। उनका कहना है कि परीक्षा विधानसभा चुनाव से पहले होनी चाहिए ताकि सरकार अपनी मंशा साफ कर सके।
“फुल सीट पर बहाली निकले, नहीं तो वोट की चोट देंगे”
धरना दे रहे अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार ने पहले 1 लाख 20 हजार पदों पर बहाली की बात कही थी, लेकिन अब चर्चा है कि सिर्फ 27 हजार पदों पर ही भर्ती निकाली जाएगी। इससे नाराज उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि सरकार लीपापोती कर रही है और उम्मीदवारों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने मांग रखी कि वन कैंडिडेट वन रिजल्ट का नियम लागू किया जाए और पूरी सीटों पर भर्ती प्रक्रिया चलाई जाए। अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो चुनाव में सरकार को वोट की चोट देंगे।
चुनावी नारे पर तंज, 9 सितंबर को मार्च का ऐलान
प्रदर्शन कर रहे उम्मीदवारों ने कहा कि अगर TRE-4 की परीक्षा विधानसभा चुनाव से पहले नहीं हुई तो 2025-30 का नारा महज नारा बनकर रह जाएगा। उन्होंने ऐलान किया कि 9 सितंबर को पटना कॉलेज से मुख्यमंत्री आवास तक मार्च निकाला जाएगा, जिसमें पूरे बिहार से अभ्यर्थी शामिल होंगे। उनका कहना है कि यह आंदोलन अब सिर्फ परीक्षा की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं के भविष्य और रोजगार की लड़ाई है।
उर्दू TET अभ्यर्थियों का भी हंगामा
इसी बीच पटना में जेडीयू दफ्तर के बाहर उर्दू TET अभ्यर्थियों ने भी बुधवार को जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि 12,000 अभ्यर्थियों को धर्म के आधार पर बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि साल 2013 में परीक्षा हुई थी लेकिन अभी तक परिणाम जारी नहीं किए गए। इस प्रदर्शन के चलते जेडीयू दफ्तर पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। कुल मिलाकर TRE-4 और लंबित भर्ती परीक्षाओं को लेकर बिहार सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।





