बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का मुद्दा गरमा गया है। सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। यह सुनवाई इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वोटर पहचान के लिए आधार और राशन कार्ड को शामिल न करने पर निर्वाचन आयोग से सवाल किए थे। इस बीच चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया है।
1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन
चुनाव आयोग के अनुसार, 1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इस सूची से साफ हो जाएगा कि लापता मतदाताओं के नामों की स्थिति क्या है। आयोग ने बताया कि मतदाताओं के नाम हटाने या शामिल करने की जांच अब बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) से आगे बढ़कर इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) तक की जाएगी। कुल 243 ईआरओ और 2,976 सहायक ईआरओ मतदाता सूची से जुड़े दावों और आपत्तियों की जांच करेंगे।
65 लाख नामों पर संदेह
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार के 7.24 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 65 लाख मतदाता मसौदा सूची से गायब हो सकते हैं। इनमें से 22 लाख मृतक पाए गए हैं। इसके अलावा, लगभग सात लाख मतदाताओं का नाम कई स्थानों पर दर्ज है, जिसे केवल एक ही वैध पते पर रखा जाएगा। सबसे बड़ी चिंता 36 लाख ऐसे मतदाताओं की है, जिन्हें स्थानांतरित या अप्राप्य मानकर चिह्नित किया गया है। आयोग का मानना है कि ये लोग या तो कहीं और पंजीकृत हैं या मौजूद नहीं हैं। 1 अगस्त तक ईआरओ की जांच के बाद सही स्थिति सामने आएगी।
दावा और आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया
1 अगस्त को मसौदा सूची जारी होने के बाद बूथ-वार प्रतियां सभी 12 प्रमुख दलों को दी जाएंगी और सीईओ की वेबसाइट पर भी प्रकाशित होंगी। 1 अगस्त से 1 सितंबर तक कोई भी मतदाता या राजनीतिक दल सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए ईआरओ के पास दावा या आपत्ति दाखिल कर सकता है। सभी आपत्तियों और दावों की जांच के बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिना पूर्व सूचना या आदेश के किसी का नाम नहीं हटाया जाएगा।





