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Thu, Dec 18, 2025

बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान को करारा झटका, चाचा पारस के पाले में गए 38 नेता

Written by:Deepak Kumar
Published:
बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान को करारा झटका, चाचा पारस के पाले में गए 38 नेता

बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी बीच चाचा-भतीजे की सियासी जंग ने नया मोड़ ले लिया है। मंगलवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने भतीजे और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को करारा झटका दिया। पारस ने चिराग के पैतृक जिले खगड़िया में उनकी पार्टी में सेंधमारी करते हुए 38 बड़े नेताओं को अपने पाले में कर लिया। इनमें लोजपा (रामविलास) के जिला अध्यक्ष और कई प्रखंड अध्यक्ष शामिल हैं।

शिवराज यादव समेत 38 नेता आरएलजेपी में शामिल

मंगलवार को पटना स्थित आरएलजेपी के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में खगड़िया जिले के लोजपा (रामविलास) के पूर्व जिला अध्यक्ष शिवराज यादव ने पारस की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। उनके साथ प्रदेश महासचिव रतन पासवान, खगड़िया के प्रखंड अध्यक्ष रोशन पासवान, मानसिक प्रखंड अध्यक्ष आकाश पासवान और चौथम प्रखंड अध्यक्ष मंटू पासवान समेत कुल 37 पदाधिकारी भी आरएलजेपी में शामिल हुए। यह सभी नेता पहले ही चिराग पासवान की पार्टी से इस्तीफा दे चुके थे। नेताओं ने आरोप लगाया कि लोजपा (रामविलास) में सिस्टम का अभाव है और कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती है।

पारस का दावा – चुनाव तक आधे से ज्यादा नेता हमारे साथ

कार्यक्रम में शामिल हुए नेताओं का स्वागत करते हुए पशुपति पारस ने दावा किया कि यह तो बस शुरुआत है। उन्होंने कहा कि खगड़िया से 200 से अधिक कार्यकर्ता उनकी पार्टी में शामिल हो चुके हैं और चुनाव आते-आते चिराग पासवान की पार्टी के आधे से ज्यादा नेता उनके साथ होंगे। पारस ने यह भी कहा कि कई बड़े नेता लगातार उनके संपर्क में हैं और जल्द ही वे भी पार्टी जॉइन करेंगे। उधर, शिवराज यादव ने कहा कि चिराग की पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं को कोई तवज्जो नहीं दी जाती और फैसले सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित रहते हैं।

रामविलास के गढ़ में चाचा-भतीजे की टक्कर तय

खगड़िया जिला लोजपा संस्थापक और दलित राजनीति के बड़े नेता दिवंगत रामविलास पासवान का पैतृक जिला है। यहीं अलौली विधानसभा सीट है, जहां से रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। बाद में पशुपति पारस भी इस सीट से चुनाव जीतते रहे। अब यही सीट चाचा-भतीजे की राजनीतिक लड़ाई का केंद्र बन गई है। दोनों दल यहां से अपना प्रत्याशी उतारने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले चुनाव में अलौली में चाचा-भतीजे के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है और खगड़िया की राजनीति में बड़ा बदलाव संभव है।