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Mon, Dec 15, 2025

आपराधिक विधेयक पर सियासी संग्राम: राजद नेता बोले अपनी बात, जेडीयू का विपक्ष को करारा तंज

Written by:Deepak Kumar
आपराधिक विधेयक पर सियासी संग्राम: राजद नेता बोले अपनी बात, जेडीयू का विपक्ष को करारा तंज

केंद्र सरकार ने गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने से जुड़ा विधेयक संसद में पेश किया है. गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में यह बिल रखा और इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव भी दिया. इस कदम को लेकर संसद से लेकर सड़क तक सियासी घमासान मचा हुआ है. विपक्ष इसे संविधान के खिलाफ बता रहा है, जबकि एनडीए समर्थक दल इसे लोकतंत्र और सुशासन के लिए अहम बता रहे हैं.


मनोज झा ने विधेयक को बताया संविधान विरोधी

आरजेडी सांसद मनोज झा ने इस बिल का कड़ा विरोध किया. उनका कहना है कि इस कानून से ‘अभियुक्त’ और ‘दोषी’ में फर्क खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों को पहले ही राजनीति में इस्तेमाल किए जाने के आरोप लगते रहे हैं. अब अगर यह कानून लागू हुआ तो जिन राज्यों में बीजेपी चुनाव से जीत हासिल नहीं कर पा रही है, वहां ऐसे विधेयकों का इस्तेमाल करके विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश होगी. मनोज झा ने यहां तक आरोप लगाया कि बीजेपी इस विधेयक के जरिए अपने ही कुछ नेताओं को भी निशाना बना सकती है.


जेडीयू सांसद बोले- स्वागत योग्य कदम

आरजेडी के विपरीत जेडीयू सांसद संजय झा ने इस विधेयक का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद को भी इस कानून के दायरे में ला रहे हैं, यह दिखाता है कि सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही चाहती है. संजय झा ने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता लोकतंत्र बचाने की बात करते हैं, लेकिन जब उनके मुख्यमंत्री तिहाड़ जेल से भी सरकार चला रहे थे, तब उन्होंने इसे सही ठहराया. अब जब इस तरह की व्यवस्था खत्म करने की पहल हो रही है तो विपक्ष इसे संविधान विरोधी बता रहा है.


बिल पर बढ़ी विपक्ष-सरकार की खींचतान

इस विधेयक में साफ प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक आरोप में लगातार 30 दिनों तक जेल में रहता है तो उसे पद से हटाया जा सकता है. सरकार का कहना है कि यह कदम सुशासन और लोकतांत्रिक नैतिकता को मजबूत करेगा. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में करेगी. संसद में इस पर लंबी बहस की तैयारी है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीति का बड़ा केंद्र बनने वाला है.