बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया नाम तेजी से चर्चा में है — निशांत कुमार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे के बाद से निशांत को लेकर राजनीतिक सरगर्मी और तेज़ हो गई है। अब जेडीयू कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार पोस्टर लगाए जा रहे हैं, जिनमें साफ़ तौर पर “निशांत को चुनाव मैदान में उतारने की मांग” की जा रही है।
लगातार पोस्टरों से बढ़ी हलचल
26 जुलाई के बाद एक बार फिर पटना में जेडीयू कार्यालय के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगाया गया, जिसमें लिखा था: “कार्यकर्ताओं की मांग, चुनाव लड़ें निशांत”। इस पोस्टर में निशांत कुमार की बड़ी तस्वीर के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर भी लगी है। रविवार को “निशांत संवाद” नाम से एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें लोगों से सीधा संवाद करने का संदेश दिया गया। इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जेडीयू में अब नेतृत्व परिवर्तन की भूमिका तैयार हो रही है?
राजनीति में सक्रियता का पहला संकेत?
कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए पोस्टरों में एक और बात खास रही – इसमें एक विचार गोष्ठी का जिक्र किया गया है, जिसमें नीतीश कुमार की जनकल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की जाएगी और इसमें निशांत कुमार को मुख्य चेहरा बताया गया है। यानी अब तक राजनीति से दूरी बनाए रखने वाले निशांत सार्वजनिक मंचों पर दिखने लगे हैं, जो संकेत देता है कि वह धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश की दिशा में बढ़ सकते हैं।
नीतीश बोले थे, “राजनीति में नहीं आना चाहते”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले कई मौकों पर साफ कह चुके हैं कि उनका बेटा निशांत राजनीति में आने का इच्छुक नहीं है। खुद निशांत ने भी सार्वजनिक रूप से कभी राजनीति में आने की बात नहीं कही है। निशांत फिलहाल कम सार्वजनिक जीवन में रहने वाले, शांत स्वभाव के, और तकनीक में रुचि रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन अब कार्यकर्ताओं का बार-बार नाम उठाना और पोस्टरों के जरिए दबाव बनाना यह संकेत दे रहा है कि पार्टी में कुछ बड़ा बदलने की भूमिका तैयार की जा रही है।
जेडीयू के भविष्य की नई राह?
बिहार की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है। ऐसे में जेडीयू अपने भविष्य के नेतृत्व को लेकर रणनीति बना रही हो, तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी। नीतीश कुमार के बाद जेडीयू में किसे नेतृत्व सौंपा जाएगा, यह सवाल लंबे समय से चर्चा में है। कई विश्लेषकों का मानना है कि निशांत को सक्रिय राजनीति में लाना उसी योजना का हिस्सा हो सकता है।





