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Mon, Dec 15, 2025

Explainer: शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान में क्यों नहीं पनप पाई कांग्रेस? क्या राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से बदलेंगे सियासी समीकरण?

Written by:Deepak Kumar
Explainer: शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान में क्यों नहीं पनप पाई कांग्रेस? क्या राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से बदलेंगे सियासी समीकरण?

बिहार में SIR के विरोध के दौरान दिल्ली में प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस सांसदों ने सीवान की मिनता देवी की तस्वीर वाले टी-शर्ट पहनकर संसद में विरोध किया था। आरोप लगाया गया कि 35 साल की मिनता देवी की उम्र वोटर लिस्ट में 124 साल दर्ज की गई। अब राहुल गांधी सीवान में वोटर अधिकार यात्रा लेकर पहुंचने वाले हैं।

वोटर अधिकार यात्रा का शेड्यूल

राहुल गांधी 29 अगस्त को बेतिया और गोपालगंज से होते हुए सीवान पहुंचेंगे। 30 अगस्त को यात्रा छपरा, सारण और भोजपुर तक जाएगी। अखिलेश यादव भी यात्रा में शामिल होंगे। 1 सितंबर को पटना में महाजुलूस के साथ इसका समापन होगा।

सीवान की राजनीतिक अहमियत

सीवान में कभी कांग्रेस का मजबूत आधार था। 1957 से 1984 तक कांग्रेस ने कई बार यहां जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद से पार्टी का प्रभाव लगातार घटता गया। वर्तमान में जदयू की विजय लक्ष्मी कुशवाहा यहां की सांसद हैं। बीजेपी और जदयू ने पिछले तीन लोकसभा चुनावों में यहां जीत हासिल की है।

आरजेडी की रणनीति और ओसामा शहाब

सीवान में शहाबुद्दीन परिवार का राजनीतिक प्रभाव रहा है। उनकी पत्नी हेना शहाब पहले चुनाव लड़ चुकी हैं। अब रघुनाथपुर सीट से उनके बेटे ओसामा शहाब को उम्मीदवार बनाने की तैयारी है। आरजेडी नेता हरिशंकर यादव ने उन्हें पगड़ी पहनाकर संकेत भी दे दिया है। राहुल और तेजस्वी की यात्रा उनके समर्थन को और मजबूत कर सकती है।

क्या कांग्रेस को फायदा होगा?

राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश अश्क का मानना है कि राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस को सीधा लाभ सीमित रहेगा। आरजेडी और भाकपा (माले) जैसी पार्टियों को इससे ज्यादा फायदा मिलेगा, क्योंकि इनका स्थानीय स्तर पर मजबूत संगठन है। राहुल गांधी की सीवान यात्रा से कांग्रेस की छवि सुधर सकती है, लेकिन चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव की संभावना कम है। कांग्रेस को अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से जोड़ने के लिए लंबी रणनीति अपनानी होगी।