निवाड़ी/भोपाल, मयंक दुबे। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की पूर्व मुख्यमंत्री (former chiefminister) और भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती (uma bharti) ने राजनैतिक निहतार्थो से इतर हमेशा अपने एजेंडों को तरहीज दी है। वैसे तो बुन्देलखण्ड (bundelkhand) के लोगो की दीदी कभी राजनीति में आना ही नही चाहती थी लेकिन हिंदुत्व (hindutva) के एजेंडे पर चलते हुए राम जन्मभूमि (Ram janmbhoomi) आंदोलन से जुड़ी साध्वी राजनीति में आ गई लेकिन उमा की शैली हमेशा से ही राजनीतिक नफा नुकसान की परवाह किए बगैर अपने एजेंडों पर रही है।
चाहे हुबली के ईदगाह मैदान पर तिरंगा फहराना हो या फिर अपने एजेंडों पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से टकराव, उमा ने कभी अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए एजेंडो से समझौता नहीं किया। हॉलिया दिनों में उमा जिस तरह से शराबबंदी वाले बयान पर मुखर होकर इसे सार्वजनिक कर रही हैं। यह उनकी अपने एजेंडे के प्रति दृढ संकल्प का ही एक प्रमाण है। उमा ने प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह को यह बताते हुए पत्र लिखा है कि वह इसे वायरल भी करेगी उमा लिखती शराबबंदी के लिए जनजागरण अभियान चलाया जाना चाहिए। जिससे कई गरीब घर तबाह न हो पाए उमा का यह पत्र तब वायरल हुआ है जब प्रदेश सरकार online शराब बेचने पर विचार कर रही है ।
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गौरतलब है कि उमा की शराबबंदी के लिए मुखरता आज की नहीं उमा का मांसाहार व शराबबंदी का विरोध सालों पुराना है इसकी शुरुवात राम राजा की नगरी ओरछा से 8 अप्रैल 1996 में हुई थी। जब उमा भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करती थी और उन्होंने धार्मिक नगरी ओरछा में मांस मदिरा की दुकानों में आग लगा दिए जाने का बयान दिया था। जिसके बाद दिग्विजय सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई थी।
उमा की मांग थी कि चित्रकूट की तरह ही ओरछा को भी मांस मदिरा से प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जाए लेकिन उमा के तमाम विरोध के बावजूद भी दिग्विजय सरकार ने ऐसा नहीं किया पर जब उमा ने 2003 में दिग्विजय सरकार को चारों खाने चित्त करने के बाद प्रदेश की सत्ता हासिल की और वह मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने अपने एजेंडे पर सबसे पहला काम किया।
उमा ने अपने 6 महीने के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश की चुनिंदा धार्मिक नगरियों को मांस मदिरा से प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित करने के लिए धार्मिक नगरी घोषित किए जाने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया और बाबूलाल गौर सरकार में ओरछा समेत तमाम धार्मिक क्षेत्रों को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया।। अब ऐसे में एक बार फिर उमा पूरे प्रदेश में शराबबंदी को लेकर मुखर है। उनका साफ तौर पर कहना है की शराब से घर तबाह होते हैं। इसलिए इसे पूरे प्रदेश में बंद कर दिया जाना चाहिए सत्ता के कुछ मंत्रियों समेत विपक्षी भी उनके समर्थन में है तो कुछ विरोध में क्योकि शराब से सरकार को बड़ा राजस्व जो मिलता पर उमा अपने एजेंडे पर अड़ी हुई है।