पांच साल की पोती की बात से नाराज होकर दादी ने पिया Acid, हुई मौत, जाने पूरा मामला

Gaurav Sharma
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इंदौर,डेस्क रिपोर्ट। दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ छोड़ो भी गुस्सा जरा हंस के दिखाओ, इस गाने में एक पोती अपनी रुठी हुई दादी को मनाने को कोशिश कर रही है, जिसमें काफी जद्दोजहद के बाद दादी नाराजगी खत्म कर देती है और मान जाती है। लेकिन हम आपको एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं जिसमें 5 साल की पोती (Grand Daughter) की बात पर दादी (Grand Mother) को इतना गुस्सा आ गया की उन्होंने जहर पी लिया (Suicide by drinking acid) और उनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।

ये पूरा मामला मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर (Indore) का है,जहां पोती ने अपनी दादी से सिर्फ इतना कहा था कि दादी आपने तो पेड़ पर लगे सारे अमरुद (Guava) खा लिए, जिस पर लगभग 80 साल की मीराबाई इतना नाराज हो गई कि उन्होंने एसिड (Acid) पीने जैसा इतना बड़ा कदम उठा लिया। बुजुर्ग महिला मीराबाई की सोमवार को इलाज के दौरान मौत (Death) हो गई। वहीं पूरे मामले पर इंदौर की एमवाय पुलिस (MY Police) ने केस दर्ज कर जांच बेटमा पुलिस को सौंप दी है।

पूरा मामला इंदौर के बेटमा के मंत्री नगर का है, जहां लगभग 80 की मीराबाई अपने बेटे कैलाश कुशवाहा बहू और 5 साल की पोती के साथ रहती थी। मीराबाई को उनकी 5 साल की पोती ने ये कह दिया था कि दादी आपने तो सारे ही अमरुद खा लिए, इस बात पर बुरा मान कर मीराबाई ने एसिड पी लिया, जिसके बाद परिजन उन्हें तुरंत एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे।

पांच साल की पोती की बात से नाराज होकर दादी ने पिया Acid, हुई मौत, जाने पूरा मामला

इस पूरे मामले को लेकर मीराबाई के बेटे कैलाश चंद्र कुशवाहा ने कहा कि उनकी मां मीराबाई अमरूद की बात को लेकर गुस्सा हो गई थी। वह 75 साल की थीष कैलाश चंद्र ने बताया कि उनकी बेटी ने उनकी मां से यह कह दिया था कि दादी पेड़ पर लगे सब जाम तू तोड़ कर खा गई, जिसको लेकर दोनों के बीच बहस हो गई। मां ने बोला कि मैंने ही सब खाए हैं क्या और किसी ने नहीं खाया। अमरूद मोहल्ले वाले ने नहीं खाए हैं क्या। अब छोटी सी बच्ची भी मुझे ताने मारने लगी है। इसके बाद सुबह उन्होंने 11:00 बजे एसिड भी लिया। इस घटना के तुरंत बाद उन्हें एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उनके इलाज के दौरान मौत हो गई

एमवाय पुलिस ने मामला दर्ज कर बेटमा पुलिस को जांच के लिए रिपोर्ट सौंप दी है। वही पूरे मामले को लेकर बेटमा की चौकी इंचार्ज मनोहर बघेल का कहना है कि मामले में की गई पूछताछ में महिला के बार-बार नाराज होने की बात सामने आई है। पूछताछ में बताया कि वह बात बात पर रुठ जाती थी और गुस्से में ही उन्होंने आत्महत्या कर ली।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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