जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (Jabalpur) शहर के शासकीय भूमि व सार्वजनिक स्थलों में बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने दायर अवमानना मामले को हाईकोर्ट (High Court) ने सख्ती से लिया। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष ननि व केंट बोर्ड की ओर से कहा गया कि सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने में जिला प्रशासन द्धारा सहयोग प्रदान नहीं किया जा रहा है। युगलपीठ ने पाया कि तीन साल पूर्व दिये गये आदेश का अब तक अक्षश: पालन नही हुआ है, जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए न्यायालय ने जिला कलेक्टर को कार्रवाई कर परिपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये है। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।
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यह अवमानना का मामला सतना बिल्डिंग निवासी सतीश वर्मा की ओर से दायर किया गया है। जिसमें सार्वजनिक स्थलों व सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने के हुए आदेश का पूर्णत: पालन न होने को चुनौती दी गई है। दायर मामले में आवेदक की ओर से कहा गया कि नए निर्माण पर रोक के बावजूद नए निर्माण हो रहे है। जिसकी शिकायत करने पर भी राजनैतिक दबाव में कलेक्टर कोर्ट आदेश की अहवेलना कर रहे है। इतना ही नहीं मामले में ननि की ओर से बताया गया कि सड़क किनारे बने धार्मिक स्थल की एक सूची जो सड़क एवं फ्लाई ओवर निर्माण में बाधक है को हटाने के लिये कलेक्टर जबलपुर द्वारा सहयोग नही किया जा रहा है। जिससे सड़क निर्माण में गति नही आ पा रही है। इसी प्रकार कैंटोमेंट बोर्ड की ओर से बताया कि कुछ ही धार्मिक स्थल बचे है जिनमें न्ययालय द्वारा स्टे हटा लिया गया है परंतु उन्हें हटाने जिला प्रशासन द्धारा सहयोग नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ता वर्मा ने युगलपीठ को बताया कि कलेक्टर जबलपुर को 23 मार्च को बताया गया कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से हाईकोर्ट आने वाले मार्ग पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा स्वयं मंदिर का निर्माण किया जा रहा है परंतु आज दिनांक तक निर्माण जारी है एवं संबंधित अधिकारी पर भी कार्रवाई नहीं की गई। इस पर कोर्ट द्वारा आदेश दिया गया है कि कलेक्टर कार्रवाई सुनिशचित करें कि नए निर्माण न हों और पूर्व आदेश के परिपालन में कार्रवाई कर अपनी रिपोर्ट पेश करे। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।