भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सैयद मोहम्मद अफजल.. एक ऐसी शख्सियत (Personality) जो भुलाए नहीं भूलेगी। सहजता ,सरलता ,व्यक्तित्व मे अपनापन,ये सब गुण थे जो अफजल को एक अलग ही शख्सियत प्रदान करते थे। 1990 बैच के अफजल ने अपने कैरियर (Career) की शुरुआत डबरा में एसडीओपी (Dabra’s SDOP) के पद से शुरू की और तभी यह बात समझ में आ गई कि वे आम आदमी के प्रति कितने संवेदनशील (Sensitive) और संबंधों के लिए किस हद तक विशाल हृदय व्यक्तित्व है।
आज के इस दौर में जब किसी भी व्यक्ति की पीठ पीछे कोई तारीफ करें तो यह सचमुच अल्लाह का करम है और अफजल साहब पर तो मानो ऊपर वाले की गजब की मेहरबानी थी। माहौल कितना भी गमगीन क्यों ना हो ,अफजल जी के आते ही खुशनुमा (Happy) हो जाता था और फिर ठहाको का जो दौर शुरू होता था, रोके नहीं रुकता था। अफजल साहब के एक के बाद एक चुटकुले (joke) महफिल में उन्हें हीरो बना देते थे ।
वह कितने जीवट थे, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब कुछ समय पहले उन्हें Glioblastoma multiforme जैसी खतरनाक बीमारी होने का पता चला और उसके लिए उन्हें ऑपरेशन थिएटर में जाना था, बाकायदा उन्होंने एक वीडियो जारी (Released Video) किया और इस वीडियो के माध्यम से उन्होंने अपने सभी चाहने वालों का शुक्रिया अदा किया ।
वह इतनी जीवट थे कि इतने कठिन ऑपरेशन से भी जीतकर वापस आए और फिर जिंदादिली के साथ अपना काम शुरू किया। लेकिन बीमारी इतनी खतरनाक थी कि तमाम दुआएं (Despite of Prayers) भी उसके आगे बेअसर साबित होती गई और धीरे-धीरे अफजल साहब उससे हारते गए और अंत में काल के क्रूर हाथो ने उन्हें हमसे छीन लिया । 2020 की इससे बुरी कोई खबर शायद हो नहीं सकती।चरणो मे विनम्र श्रद्दान्जलि!