गजब की जीवटता थी अफजल साहब में, देखिये ऑपरेशन से पहले का वीडियो

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सैयद मोहम्मद अफजल.. एक ऐसी शख्सियत (Personality) जो भुलाए नहीं भूलेगी। सहजता ,सरलता ,व्यक्तित्व मे अपनापन,ये सब गुण थे जो अफजल को एक अलग ही शख्सियत प्रदान करते थे। 1990 बैच के अफजल ने अपने कैरियर (Career) की शुरुआत डबरा में एसडीओपी (Dabra’s SDOP) के पद से शुरू की और तभी यह बात समझ में आ गई कि वे आम आदमी के प्रति कितने संवेदनशील (Sensitive) और संबंधों के लिए किस हद तक विशाल हृदय व्यक्तित्व है।

आज के इस दौर में जब किसी भी व्यक्ति की पीठ पीछे कोई तारीफ करें तो यह सचमुच अल्लाह का करम है और अफजल साहब पर तो मानो ऊपर वाले की गजब की मेहरबानी थी। माहौल कितना भी गमगीन क्यों ना हो ,अफजल जी के आते ही खुशनुमा (Happy) हो जाता था और फिर ठहाको का जो दौर शुरू होता था, रोके नहीं रुकता था। अफजल साहब के एक के बाद एक चुटकुले (joke) महफिल में उन्हें हीरो बना देते थे ।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।