कलेक्ट्रेट का घेराव कर बोले कृषि छात्र, परीक्षा देकर गुनाह किया है तो जेल में डाल दो

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (PEB) के खिलाफ जारी कृषि छात्रों (Agricultural Students) का आंदोलन और तेज होता जा रहा है। इंदौर में आंदोलनकारी कृषि छात्रों (Agricultural Students)ने गिरफ़्तारी दी तो ग्वालियर में कृषि छात्रों (Agricultural Students) ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया। आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि हमने पढाई की है, परीक्षा दी है और यदि यही हमारा गुनाह है तो हम सबको जेल में डाल दो।

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वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ कृषि छात्र (Agricultural Students) 27 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। कृषि छात्रों (Agricultural Students) का आरोप है कि प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (PEB) के अधिकारियों की मिलीभगत से परीक्षा के पेपर आउट कराये गए और ऐसे छात्रों को मैरिट में जगह मिली जो ठीक से हिंदी लिखना नहीं जानते।

कलेक्ट्रेट का घेराव कर बोले कृषि छात्र, परीक्षा देकर गुनाह किया है तो जेल में डाल दो कलेक्ट्रेट का घेराव कर बोले कृषि छात्र, परीक्षा देकर गुनाह किया है तो जेल में डाल दो

आक्रोशित छात्र इकट्ठा होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और उन्होंने वहां धरना देकर सरकार विरोधी नारेबाजी की। कृषि छात्रों (Agricultural Students) ने कहा कि मुख्यमंत्री मामा शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan ) ने जांच का भरोसा दिया है लेकिन ये जाँच कौन करेगा और कितने दिन में होगी ये नहीं बताया। परीक्षा 7 साल बाद आयोजित की गई और यदि जाँच में सात साल लगा दिए तो एक और पीढ़ी खड़ी हो जाएगी। क्या मामा शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) 2022 का टारगेट लेकर चल रहे हैं? उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि जाँच को समय सीमा में बंधा जाये और ये हाईकोर्ट की निगरानी में की जाये।

गिरफ़्तारी की मांग कर रहे छात्रों को प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाइश देकर शांत किया उसके बाद छात्र ज्ञापन देकर वापस चले गए लेकिन चेतावनी देकर गए कि ये आंदोलन अभी ख़त्म नहीं हुआ है, दोषियों को सजा और हमें न्याय नहीं मिलने तक जारी रहेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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