अर्नब गोस्वामी को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

Gaurav Sharma
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मुंबई डेस्क रिपोर्ट। रिपब्लिक टीवी(Repbulic TV) के एडिटर इन-चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) और सह-अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट  ने जमानत (Bail) दे दी है। 4 नवंबर को अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मुंबई कोर्ट ने जेल भेज दिया था। महाराष्ट्र पुलिस(Maharashtra Police) ने अर्नब गोस्वामी को उनके घर से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद जमानत के लिए अर्नब गोस्वामी ने बॉम्बे हाई कोर्ट से अपील की थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत को खारिज करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्नब गोस्वामी को जमानत नहीं देना गलत था। जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को जमानत दे दी है।

2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को मुबंई कोर्ट ने 14 दिन के हिरासत में ले लिया था, वहीं पुलिस ने कहा था कि अर्नब गोस्वामी को एक इंटीरियर डिजाइनर को खुदखुशी करने को उकसाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट दुखी है कि हाई कोर्ट जो कि संवैधानिक अदालतें हैं, उन मामलों में पर्याप्त नहीं कर रही हैं जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है। अगर यह अदालत आज हस्तक्षेप नहीं करती थी  तो हम एक ऐसे रास्ते पर चले जाते जहां व्यक्तिगत रूप से स्वतंत्रता का विनाश किया जाता है। क्या यह हमारी राज्य सरकारें उन लोगों के लिए करेंगी जिन्हें जेल जाना है …?” उन्होंने कहा कि आप जैसा चैनल देखते हैं, वैसा ही करते हैं। अगर राज्य सरकार इस तरह से किसी व्यक्ति को लक्षित करता है तो उसे बताया जाए की सुप्रीम कोर्ट वो आ सकता है।

बात दें कि अर्नब गोस्वामी की  गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में राजनीति गरमा गई थी, जिसे लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि इमरजेंसी (Emergency) जैसे हालात हो गए है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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