चेन्नई, डेस्क रिपोर्ट। देश में एक तरफ जहां रिटायरमेंट उम्र (Employees- School Teachers retirement age) को बढ़ाने की अपील की जा रही है। वहीं एक ताजा मामला सामने आया है। जिसमें फेडरेशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ गवर्नमेंट स्कूल (Federation of Protection of Government Schools) ने स्कूली शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को कम करने की मांग की है। हालांकि इसके पीछे का कारण उन्होंने स्पष्टता से दिया है। उन्होंने कहा है कि सेवानिवृत्ति आयु को 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष किया जाना चाहिए क्योंकि शिक्षकों की उम्र का असर उनके जीवन शैली पर दिख रहा है।
फेडरेशन की कार्यकारी समिति के सदस्यों की शुक्रवार को यहां हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में फेडरेशन ने दावा किया कि 58 साल की उम्र पार कर चुके शिक्षकों के शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति का असर उनकी पढ़ाने की क्षमता पर पड़ रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव देखने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। फेडरेशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ गवर्नमेंट स्कूल्स ने राज्य सरकार से स्कूली शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु दो साल कम करने का आह्वान किया है। इसलिए स्कूली शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु मौजूदा 60 से 58 वर्ष निर्धारित की जानी चाहिए।
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प्रत्येक राजस्व गांव में प्री-केजी और एलकेजी सेक्शन शुरू करने की मांग करते हुए सरकारी प्राइमरी स्कूलों में नॉन टीचिंग स्टाफ की तैनाती की जाए।फेडरेशन ऑफ प्रोटेक्शन एक्ट ऑफ़ गवर्नमेंट स्कूल ने तमिलनाडु सरकार से बड़ी मांग करते हुए कहा है कि अब स्कूली शिक्षकों के सेवानिवृत्ति आयु को 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष किया जाए। साथ ही ऐसे शिक्षक जो 50 वर्ष से अधिक की आयु के हो चुके हैं उनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाए। इतना ही नहीं स्वास्थ्य परीक्षण के आधार पर ही उन्हें सेवा में बने रहने दिया जाए अथवा उन्हें सेवा से मुक्त करने पर भी विचार किया जाए।
हालांकि फेडरेशन के इस मांग पर अब शिक्षकों की प्रक्रिया प्रतिक्रिया होती है। यह देखना दिलचस्प होगा। जब ऐसे समय में जहां सेवानिवृत्ति आयु को देश में बढ़ाए जाने की मांग विभिन्न संस्थाओं और शासकीय कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। फेडरेशन द्वारा छात्र हित और बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए इस तरह की मांग करना सेवानिवृत्ति आयु को लेकर बने संशय के बीच राज्य सरकार पर क्या असर दिखाता है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।