नेहरू की सिगरेट 555 पर उलझे भाजपा और कांग्रेस, एक दूसरे पर कसे तंज

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) और पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) भारत की वो दो महान शख्सियत हैं जिनके बिना भारत की राजनीति (Politics of India) की कल्पना करना असंभव है।  दौर कोई सा भी हो, माहौल कोई सा भी हो, विषय कोई सा भी हो गांधी (Gandhi) और नेहरू (Nehru) का नाम लिए बिना सन्दर्भ पूरा नहीं होता। ऐसे ही एक सन्दर्भ पर इन दिनों मध्यप्रदेश की सियासत गरमाई हुई है।

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दरअसल भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग (VIshvas Kailash Sarang) ने राजभवन (Rajbhavan) के दस्तावेजों का हवाला देते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) पर तंज कसा है, उन्होंने ट्वीट (Tweet) किया – गजब है नेहरू जी, विलायत से कपड़े धुलवाए, गांधीजी का सरनेम चुराए, लेकिन चरित्र नहीं अपनाए और तो और हवाई जहाज से सिगरेट मंगवाए। MP राजभवन के दस्तावेज़ों में लिखा है कि पूर्व PM नेहरू के लिये हवाईजहाज से इंदौर से भोपाल सिगरेट मंगाई गई।

नेहरू की सिगरेट 555 पर उलझे भाजपा और कांग्रेस, एक दूसरे पर कसे तंज

विश्वास कैलाश सारंग (VIshvas Kailash Sarang)ने अपने ट्वीट (Tweet) के साथ राजभवन (Rajbhavan) का एक दस्तावेज भी पोस्ट किया है जिसमें लिखा है कि जब पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) भोपाल आये थे तब राजभवन स्टाफ (Rajbhavan Staff) को महसूस हुआ कि राजभवन (Rajbhavan) में नेहरू जी की फेवरेट सिगरेट ब्रांड 555 नहीं है और नेहरू जी खाने के बाद सिगरेट पीते हैं। राजभवन स्टाफ (Rajbhavan Staff) ने तुरंत एक हवाई जहाज इंदौर (Indore) भेजा जो इंदौर एअरपोर्ट से 555 सिगरेट का पैकेट लेकर वापस भोपाल आ गया।

जब भाजपा ने तंज किया तो भला कांग्रेस कहाँ चुप बैठने वाली थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग को ट्वीट कर जवाब दिया। केके मिश्रा ने लिखा – मेरे मित्र विश्वास सारंग दिवंगत पं.नेहरू की सिगरेट विमान से इंदौर से भोपाल बुलवाने का आरोप लगा रहे हैं, क्या ऐसा करने को नेहरू ने कहा होगा? इसके दोषी तो चापलूस अफ़सर होंगे, नेहरू तो बहुत बड़े व्यक्ति और PM थे, जरा CM को एक मच्छर काटने पर यंत्री के निलंबन पर भी बोलिये विश्वास जी।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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