कंफ्यूज कांग्रेस: जिस नेता को महासचिव बनाया एक दिन बाद ही नियुक्ति निरस्त की

ग्वालियर, अतुल सक्सेना| मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) में 28 सीटों पर उपचुनाव (By-election) हैं। इस बीच नाराज नेता लगातार दल भी बदल रहे हैं जिसके चलते शीर्ष नेतृत्व अपने नेताओं पर नजर भी बनाये हुए हैं ऐसे में कांग्रेस (Congress) ने एक ऐसा फैसला किया है जो आश्चर्यजनक तो है ही साथ ही राजनैतिक बुद्धिमत्ता को भी दर्शाता है। दरअसल प्रदेश कांग्रेस (MP Congress) ने ग्वालियर (Gwalior) के एक वरिष्ठ नेता को एक दिन पहले जिला अध्यक्ष और पूर्व मंत्री एवं विधायक के माध्यम से प्रदेश महासचिव पद का नियुक्ति पत्र सौंपा लेकिन अगले ही दिन प्रदेश कार्यालय ने नियुक्ति निरस्त कर दी।

प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी के हस्ताक्षरों से जारी दो नियुक्ति पत्र ग्वालियर अंचल के राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश पर कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता पूर्व पार्षद एवं जिला प्रवक्ता आनंद शर्मा को प्रदेश महासचिव पद पर नियुक्ति प्रदान की थी। हालांकि नियुक्ति पत्र पर 20 सितंबर की तारीख लिखी है लेकिन आनंद शर्मा को ये नियुक्ति पत्र कल बुधवार को जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने पूर्व मंत्री एवं विधायक लाखन सिंह सहित अन्य वरिष्ठ कांग्रेसियों की मौजूदगी में कांग्रेस कार्यालय में सौंपा। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि प्रदेश कार्यालय से चंद्रप्रभाष शेखर के हस्ताक्षर से आज 8 अक्टूबर गुरुवार को एक और पत्र जारी किया गया जिसमें आनंद शर्मा की नियुक्ति को निरस्त कर दिया। प्रदेश कांग्रेस का फैसले ग्वालियर अंचल के राजनैतिक गलियारों में ये चर्चा का विषय बना हुआ है। पार्टी के नेता दबी जुबां से ये कह रहे हैं कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को ऐसी क्या मजबूरी थी कि अपना ही फैसला पलट दिया वो भी ऐसे समय में जब पार्टी के नेता दल बदल पर उतारू हैं यानि थोड़ी सी नाराजगी के चलते पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। पार्टी सूत्र कमलनाथ की राजनैतिक बुद्धिमत्ता पर भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि क्या उनके उपर कहीं से क्या इतना दबाव आया कि उन्हें अपना फैसला पलटना पड़ा और एक वरिष्ठ नेता को प्रदेश महासचिव बनाकर हटाना पड़ा।

44 साल से कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता हैं आनंद शर्मा
तीन बार पार्षद रहे आनंद शर्मा करीब 44 साल से कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता हैं। वे इंदिरा गांधी के समय से कांग्रेस से जुड़े हैं। जिले में प्रवक्ता कि जिम्मेदारी निभा रहे आनंद शर्मा अन्य कई पदों पर रहे और ये पहला अवसर है कि उन्हें प्रदेश में जिम्मेदारी मिली थी लेकिन चंद घंटो बाद ही प्रदेश अध्यक्ष ने अपना फैसला पलट दिया। गौरतलब है कि आनंद शर्मा महल यानी जयविलास पैलेस के नजदीकी नेताओं में गिने जाते रहे हैं। बड़े महाराज यानि माधव राव सिंधिया भी उन्हें बहुत पसंद करते थे लेकिन जब माधव राव सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी और मप्र विकास कांग्रेस बनाई थी तब आनंद शर्मा ने पार्टी नहीं छोड़ी थी। इतना ही नहीं आनंद शर्मा ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते रहे हैं लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो आनंद शर्मा उनके साथ नहीं गए। उन्होंने खुद को सच्चा कांग्रेसी बताते हुए ये प्रमाणित किया कि वे व्यक्ति नहीं पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं। अपनी नियुक्ति निरस्त होने के बाद आनंद शर्मा ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से कहा कि मैं विगत 44 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का अनुशासित एवं वफादार कार्यकर्ता हूँ। पार्टी का जो भी निर्णय होगा मुझे शिरोधार्य होगा। मेरे लिये राजनीतिक पदों का आना जाना एक सामान्य प्रक्रिया है मैं तो पार्टी का एक सामान्य कार्यकर्ता बनकर भी अपने जीवन की अंतिम सांस तक पार्टी हित में कार्य करता रहूंगा। बहरहाल आनंद शर्मा की नियुक्ति निरस्त होने के बाद राजनैतिक पंडित ये भी कह रहे हैं कि उनको बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद शहर की दोनों सीटों पर हो रहे उपचुनावों में पार्टी को ब्राह्मण वोटो का लाभ जरूर मिलता लेकिन अब देखना होगा कि पार्टी के इस फैसले का चुनावों मे क्या असर होता है।

पहले जारी किया गया नियुक्ति पत्र

कंफ्यूज कांग्रेस: जिस नेता को महासचिव बनाया एक दिन बाद ही नियुक्ति निरस्त की

नियुक्ति निरस्त करने का पत्र

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