सिंधिया के इस काम को कांग्रेस ने बताया सियासी दांव, कहा- ऐसे तो नहीं थे ज्योतिरादित्य

Kashish Trivedi
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ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में कांग्रेस (congress) को सत्ता से बाहर हुए और ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) के बीजेपी (bjp) में शामिल हुए 1 साल से अधिक का वक्त बीत चुका है। इन 1 सालों में सिंधिया के रुख, तो कभी उनके बयान तो कभी उनकी कार्य शैली चर्चा का विषय रही। पिछले 1 वर्षों से कांग्रेस प्रदेश में सत्ता गिरने का सारा ठीकरा सिंधिया पर फोड़ती रही। वहीं राहुल गांधी (rahul gandhi) के बयान ने इस बात पर मुहर लगा दी। अब एक बार फिर सिंधिया का भगवा रंग उनके विरोधियों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है और लगातार कांग्रेस सिंधिया पर इस बात के लिए निशाना बना रहे हैं।

दरअसल बीजेपी में जाते ही सिंधिया बीजेपी के भगवे रंग में रंगते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी की विचारधारा पर चलते हुए ज्योतिरादित्य का मंदिर जाना भी अब कांग्रेस को चुनावी दांव नजर आ रहा है। इस मामले में अब कांग्रेस ने एक बार फिर सिंधिया के मंदिर भ्रमण पर सवाल खड़े किए हैं। वही सिंधिया के मंदिर जाने को चुनावी दांव बताया है।

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ज्योतिरादित्य पर हमला बोलते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष बालेंदु शुक्ला (balendu shukla) ने कहा कि सियासत में सिंधिया के लिए वक्त गुजरता जा रहा है। उनको अब बीजेपी को जताना है कि वह हिंदुत्व के पुरजोर प्रणेता है। बालेंदु शुक्ला यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि सिंधिया कितना भी मंदिर मंदिर घूम ले लेकिन प्रदेश की जनता सब जानती है कि वह कब किस मंदिर में गए। किस देवता की उन्होंने पूजा अर्चना की।

बालेंदु शुक्ला के बयान पर पलटवार करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि धर्म को सियासत से जोड़ने का कोई मतलब नहीं है। इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मंदिर लेनदेन का रिश्ता नहीं है। यह धार्मिक भावना है।

हालांकि ज्योतिरादित्य ने तो अपनी तरफ से मंदिर भ्रमण पर अपनी बात कह दी लेकिन फिर भी कांग्रेस को लगता है कि सिंधिया का यह चेहरा कुछ और ही है और मंदिर मंदिर घूमना उनका सियासी दांव है। सिंधिया के धार्मिक दौरे को सीधा बताते हुए कांग्रेसी एक बार फिर से कह रही है कि 1 साल पहले तो सिंधिया ऐसे नहीं थे।


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