उपचुनावों से दिग्विजय की दूरी, किसी का डर या है कोई मजबूरी

दिग्विजय

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। पिछले लंबे समय से मप्र की राजनीति को प्रभावित करने वाले और चुनावों में हमेशा फ्रंटफुट पर रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का इस बार बैकफुट पर रहना समझ से परे है । चुनावी परिद्रश्य से दिग्विजय सिंह का गायब रहना राजनैतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या ये हाई कमान का निर्देश है या पार्टी को किसी बात का डर है या फिर कोई मजबूरी है।

मध्यप्रदेश की राजनीति के इतिहास पर यदि नजर डाले तो पिछले करीब तीन दशक में कांग्रेस के दो नेता ऐसे रहे जिन्होंने प्रदेश की राजनीति को बहुत प्रभावित किया। एक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया। प्रदेश सहित ग्वालियर चंबल संभाग में दोनों नेताओं का जबरदस्त होल्ड था। एक महाराजा तो दूसरा राजा था। अंचल में दोनों के ही गुट के नेता थे। कांग्रेस का तीसरा कोई भी गुट ग्वालियर चंबल में प्रभावी नहीं था। कमलनाथ, सुरेश पचौरी जैसे बड़े नेताओं के भी एक दो नेता ही क्षेत्र में थे लेकिन अंचल में उन्हें उतनी तबज्जो नहीं मिलती थी जितनी सिंधिया और दिग्विजय गुट के नेताओं को मिलती थी।


About Author
Kashish Trivedi

Kashish Trivedi