भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
उपचुनाव(By-Election) से पहले प्रदेश की सरकार ने जनता हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे मुद्दे भी हैं जिन पर अभी तक विचार नहीं हो पाया है। ऐसे मुद्दों में अध्यापकों के संविलियन के बाद उनकी वरिष्ठता सूची जारी(After the merger of teachers, their seniority list released) करने का मुद्दा भी शामिल है। 2 साल बीत जाने पर भी विभाग द्वारा वरिष्ठता सूची(Seniority list) जारी नहीं की गई है। इसके कारण न तो शिक्षकों को पदोन्नति(Promotion to teachers) का लाभ मिल रहा है और ना ही वरिष्ठता का लाभ मिल पा रहा है। इसको लेकर अब शिक्षक संगठनों में असंतोष की भावना शामिल हो गई है।
दरअसल राज्य शासन ने अध्यापकों के हित में राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग में संविलियन करने का निर्णय लिया था। 2018 के राजपत्र में शिक्षा सेवा संवर्ग में इस बात का उल्लेख किया गया था कि प्राथमिक शिक्षकों की वरिष्ठता सूची जारी की जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश के अध्यापक संवर्ग को शिक्षा विभाग के पद पर नियुक्त किया गया था। किंतु विभाग द्वारा अब तक 20,000 से अधिक अध्यापकों का संविलियन नहीं हो पाया है।जिसके कारण वरिष्ठता सूची जारी करने में काफी समय लग रहा है।
वही दूसरी तरफ डीपीआई, अपर संचालक, डी एस कुशवाह का इस मामले में कहना है कि कुछ अध्यापकों की सविलियन प्रक्रिया में देरी हो रही है। जिस कारण वरिष्ठता सूची जारी नहीं की जा रही है। प्रक्रिया जल्दी पूरी कर ली जाएगी। वहीं दूसरी तरफ समग्र शिक्षक व्याख्याता प्राचार्य कल्याण संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मुकेश शर्मा का कहना है संविलियन के बाद वरिष्ठता सूची ना जारी होने से शिक्षकों को कई तरह के लाभ नहीं मिल पा रहे हैं।जबकि राजपत्र में स्पष्ट निर्देश है कि 30 जुलाई 18 के 3 माह के बाद ही वरिष्ठता सूची जारी होनी थी लेकिन अब तक वरिष्ठता सूची जारी नहीं की गई है।
संविलियन से यह होगा फायदा
अध्यापकों के संविलियन प्रक्रिया के बाद अगर उनकी वरिष्ठता सूची जारी हो जाती है तो उन्हें कई तरह के लाभ मिलेंगे। वरिष्ठता सूची जारी होने के बाद सभी शिक्षक मध्यप्रदेश सिविल सेवा के प्रावधान के अंदर आएंगे। उन्हें शासकीय आवास आवंटित किए जाएंगे, इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम 1977 के मुताबिक सेवानिवृति या सेवा में रहते मृत्यु प्राप्त होने पर उन्हें अवकाश नकदीकरण की पात्रता भी प्राप्त होगी। साथ ही साथ चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पात्रता भी उन्हें प्राप्त होगी। इसके साथ ही आचरण नियम 65 और नियम 66 के अंतर्गत उन्हें कई तरह के लाभ मिलेंगे।
बता दें कि एक तरफ जहां वरिष्ठता सूची ना होने पर स्कूल में प्रभार देने में भी दिक्कत की स्थिति आ रही है वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों को समयमान वेतनमान भी नहीं मिल पा रहा है। इतना ही नहीं इसके साथ प्राचार्य पद पर पदोन्नति में भी स्कूल प्रशासन को काफी विलंब का सामना करना पड़ रहा है। जिससे प्रदेश के 2 लाख 37 हजार शिक्षकों में रोष व्याप्त है।