रानीघाटी गौशाला में विकसित होगा ईको टूरिज्म, कोरोना से निजात दिलाने चल रहा महायज्ञ

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। जिले की रानी घाटी गौशाला में कोरोना (corona) महामारी से निजात दिलाने के लिए आयोजित हो रहे महायज्ञ (Mahayagya) में मंगलवार को आईएएस शशांक मिश्रा पहुंचे। प्रदेश सरकार के मंत्रालय में उपसचिव मिश्रा ने इस मौके पर गौशाला का निरीक्षण (Inspection) कर वहां के भौगोलिक व आध्यात्मिक वातावरण देख खुशी जताई। उन्होंने इस क्षेत्र को धर्म और पर्यटन (Dharma And Tourism) की दृष्टि से विकसित करने के निर्देश दिए। इस मौके पर सीईओ शिवम वर्मा ने आसपास की सड़कों को दुरस्त करने एवं अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिए। साथ ही इस क्षेत्र को ईको टूरिज्म के हिसाब से विकसित करने का निर्णय लिया गया। यहाँ शीघ्र ही गौ माता के लिए भूसा रखने के लिए सेट तैयार होगा तथा पानी व्यवस्था के लिए बोरिंग की जाएगी।

ईश्वर से जुड़कर अवनति नहीं हो सकती: प्रेमानंद

इस मौके पर प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने भागवत कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि भागवत भगवान से जुडऩे की कला बताती है। जीव जब से परमात्मा से अलग हुआ तभी से दुखी और अशांत है। दुर्लभ मानव शरीर परमात्मा से मिलने के लिए प्राप्त होता है। परमात्मा से अलग हुआ जीव जब परमात्मा के साथ मिलकर एक हो जाता है तब उसे विश्राम मिलता है।

उन्होंने कहा कि साधनजन्य आनंद और स्वयंसिद्ध आनंद ये दो प्रकार का आनंद होता है। साधन जन्य आनंद में धन-संपत्ति,पुत्र,स्त्री आदि साधनों की आवश्यकता पड़ती है किंतु स्वयं सिद्ध आनंद परमात्मा का आनंद होता है। उसके लिए किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती। भीतर के उस आनंद को प्राप्त करने की कला भागवत शास्त्र से प्राप्त होती है। परमात्मा मन,बुद्धि, इंद्रियों से परे है। केवल मानव शरीर से ही उसका अनुभव किया जा सकता है। उस परम तत्व को प्राप्त करने का प्रयत्न करना ही मानव जीवन का सदुपयोग है। आप यदि ईश्वर के लिए दो कदम चलोगो तो वो आपके लिए चार कदम चलता है। ईश्वर से जुड़े रहोगे तो आपकी कभी अवनति नहीं होगी। लक्ष्य विहीन जीवन अति निंदनीय है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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