इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। अप्रैल महीने में एक बार फिर मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में बिजली के दामों (electricity rate) में वृद्धि हो सकती है। हालांकि प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण अभी नहीं होगा यह बात प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ने कही है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि अभी प्रदेश में निजीकरण की व्यवस्था लागू नहीं होगी।
हालांकि सस्ती बिजली दर पर बोलते हुए प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि बिजली दरों के खर्चे कम हो। जिससे आमजन को सस्ती बिजली मिल सके लेकिन हम दिल्ली जैसे सस्ती बिजली नहीं दे सकते। उर्जा मध्य ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों को 14000 करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है। जबकि आम जनता को साढ़े चार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। वहीं दिल्ली में किसान नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार आम लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध करवा पा रही है लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा करना संभव नहीं है।
उन्होंने यह कहा कि बिजली कंपनियों की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव उनके पास नहीं आया है इसलिए अभी यह नहीं कहा जा सकता कि प्रदेश में बिजली महंगी हो गई या नहीं। हालांकि उन्होंने कहा है कि अगर बिजली कंपनियों के खर्चे बढ़ते हैं तो बिजली की दर में वृद्धि की जाएगी।
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बता दें कि इससे पहले प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि ऐसे बिजली उपभोक्ता जो आयकर जाता है उन्हें बिजली के बिल में सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाएगा। शिवराज सरकार ने करदाताओं की संख्या 6 लाख से अधिक बताई है। हालांकि इस मामले में ऊर्जा मंत्री कोई जवाब नहीं दिया कि बिजली कंपनी आयकर दाता की पहचान कैसे करेगी।
वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली दर में वृद्धि करने का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। पावर मैनेजमेंट कंपनी मध्य प्रदेश का कहना है की वार्षिक राजस्व कि उन्हें जरूरत है और जिसके लिए 3000 करोड़ रुपए की कमी हो रही है। बता दें कि इससे पहले जनवरी से मार्च तक 3 महीने के लिए 1.98% की दर से बिजली की दर में वृद्धि की गई है। बिजली कंपनी ने ज्योति योजना के तहत सौ यूनिट से डेढ़ सौ तक मासिक बिजली खपत पर उपभोक्ताओं को बिल में छूट दे रही है।