प्रायश्चित करने मुक्तिधाम पहुंचे ऊर्जा मंत्री, झाड़ू लगाई सेनेटाइजेशन भी किया

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ट्रैफिक थाने पहुंचकर चालान कटवाने वाले ऊर्जा मंत्री (Energy Minister)  प्रायश्चित (Atonement) करने आज रविवार को मुक्तिधाम (Muktidham) पहुंचे। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) ने मुक्तिधाम में अपने हाथ झाड़ू लगाई, कचरा उठाया और फिर सेनेटाइजेशन भी किया। उन्होंने कहा कि मैंने गलती की तो उसका जुर्माना भरा और प्रायश्चित कर रहा हूँ।

गुरुवार को बिना हेलमेट पहने एक्टिवा चलाने के बाद गलती का अहसास होते ही प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) ने शनिवार को ट्रैफिक थाने पहुंचकर 250 रुपये का चालान कटवाकर एक उदाहरण पेश किया था इस मौके पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) ने प्रायश्चित (Atonement) करने का भी संकल्प लिया था और आज रविवार को ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) प्रायश्चित (Atonement) करने चार शहर का नाका मुक्तिधाम (Muktidham) पहुंचे।

प्रायश्चित करने मुक्तिधाम पहुंचे ऊर्जा मंत्री, झाड़ू लगाई सेनेटाइजेशन भी किया प्रायश्चित करने मुक्तिधाम पहुंचे ऊर्जा मंत्री, झाड़ू लगाई सेनेटाइजेशन भी किया

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) ने चार शहर का नाका मुक्तिधाम में झाड़ू लगाई, अपने हाथ से कचरा और गंदगी उठाई, नालों के नीचे टाइल्स पर जमी काई को साफ़ किया और फिर सेनेटाइजेशन किया।  ऊर्जा मंत्री के साथ उनकी टीम  उनके समर्थक और नगर निगम के कर्मचारी भी थी।

प्रायश्चित करने मुक्तिधाम पहुंचे ऊर्जा मंत्री, झाड़ू लगाई सेनेटाइजेशन भी किया प्रायश्चित करने मुक्तिधाम पहुंचे ऊर्जा मंत्री, झाड़ू लगाई सेनेटाइजेशन भी किया

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) ने इस मौके पर कहा कि मैंने गलती की उसका अहसास होते ही  मैंने थाने जाकर खुद जुर्माना भरा रसीद कटवाई और अपराध की क्षमा के लिए मुक्तिधाम में श्रमदान किया। यहां मेरा पसीना निकला है ये प्रायश्चित का पसीना है मैंने बिना हेलमेट पहने एक्टिवा चलाकर जो अपराध किया था उसका पश्चाताप है मुझे। उन्होंने कहा कि यदि हम जैसे लोग ही नियमों का पालन नहीं करेंगे तो समाज में क्या सन्देश जाएगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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