भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बीजेपी (BJP) की वरिष्ठ नेता और प्रदेश भाजपा सरकार की EX MINISTER पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले (Kusum Mehdele) ने सरकार के विरोध में झंडा उठा लिया है। मामला अंतरराज्यीय नदी परियोजना (Interstate river project) से जुड़ा हुआ है और इसे अपने क्षेत्र के विकास के लिए नुकसान बताते हुए कुसुम मेहदेले ने इसका कड़ा विरोध किया है।
विश्व जल दिवस 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की मौजूदगी में केन-बेतवा लिंक परियोजना(Ken-Betwa Link Project) को लागू करने के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार के बीच में केंद्र के साथ एक समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत केन और बेतवा नदी को आपस में जोड़ा जाएगा और इनसे मिलने वाले जल को दोनों राज्यों की जनता के हित में प्रयोग किया जाएगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना के शुरू होते ही बीजेपी मे ही विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले ने इस योजना को पन्ना जिले के लिए नुकसान बताया है और इसके विरोध में आंदोलन करने की बात कही है। एक समाचार पत्र से विशेष चर्चा में कुसुम ने कहा कि इस पर योजना के लागू होने से पन्ना जिले को केवल नुकसान ही होना है। हम अपनी नदी का पानी नहीं लेने देंगे और मरने मारने तक विरोध करेंगे। कुसुम मेहदेले ने यह भी कहा कि जैसे तैसे पन्ना का नेशनल पार्क विकसित हुआ है वह भी बर्बाद होगा और साथ ही हमारी जमीन डूब विस्थापन में जाने से कई गांव में जीवन यापन का संकट खड़ा हो जाएगा। जिले के पर्यटन पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
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कुसुम मेहदेले से जब यह कहा गया कि विरोध मुख्यमंत्री के सामने क्यों नहीं किया गया तब उन्होंने कहा कि हाल ही में शिवराज पन्ना आए थे और उन्होंने उन जैसी सीनियर लीडर से मिलना तक उचित नहीं समझा। मैंने अपनी पूरी जिंदगी पार्टी में लगा दी है। पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा, जो इस क्षेत्र से सांसद भी हैं, उनसे भी उन्होंने बात करने को मना कर दिया और साफ कह दिया कि अब वे आंदोलन करेंगी और इसके लिए सभी पार्टियों की बैठक बुला रही हैं। सपा, बसपा, कांग्रेस बीजेपी सभी के साथ मिलकर यह तय करेंगी कि क्षेत्र का विकास कैसे हो और इसे चारागाह नहीं बनने दिया जाए।
क्या है केन-बेतवा लिंक योजना
लगभग 15 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने देश भर में नदियों को जोड़ने की परियोजना बनाने पर काम करने की बात कही थी। उसी समय केन-बेतवा लिंक योजना प्रोजेक्ट की रूपरेखा भी तैयार की गई। यह देश भर की 30 नदियों को जोड़ने के लिए शुरू की गई नदी परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना के तहत 77 मीटर लंबा और 2 किलोमीटर चौड़ा बान्ध और 230 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण भी शामिल है।
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सरकार का दावा है कि परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के न केवल सूखे की समस्या निपटाने में मदद मिलेगी बल्कि किसान संपन्न होंगे। आत्महत्या की दर घटेगी और सिंचाई क्षमता बढ़ने से उत्पादन और समृद्धि में बढ़ोतरी होगी। इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के झांसी, बांदा, ललितपुर, महोबा और मध्यप्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना व छतरपुर जिले लाभान्वित होंगे।