कृषि मंत्री के बंगले के बाहर धरना देंगे किसान, महापंचायत में टिकैत को देंगे आमंत्रण

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। किसान आंदोलन (Farmer Protest) के समर्थन में ग्वालियर में 49 दिन तक माकपा (CPIM) के नेतृत्व में चले किसानों के धरने को जबरिया हटाने से आक्रोशित नेता अब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) के सरकारी बंगले के बाहर धरना देंगे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ग्वालियर की एक बैठक लाल भवन नई सड़क पर आयोजित की गई। बैठक में पिछले दिनों जिस तरह से उनके 49 दिन पुराने धरने को प्रशासन ने जिस तरह खत्म किया, जबरिया टेंट को उखाडा और सामान को जब्त किया उसकी निंदा की गई। इस मौके पर वरिष्ठ माकपा नेता अखिलेश यादव ने बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में सर्व सम्मति से दो प्रस्ताव पारित किए गए। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा जिस प्रकार से रात के अंधेरे में 49 दिन से फूलबाग चौराहे पर पर चल रहे किसान आंदोलन के धरने को हटाया गया उसकी निंदा की गई। वहीं किसान आंदोलन को गति देने के लिए गांव गांव अभियान चलाने का निर्णय किया गया।

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बैठक में सर्व सम्मति से यह भी निर्णय हुआ कि चूंकि यह केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) का गृह जिला है इसलिये प्रशासन ने सत्ता के इशारे पर यह धरना हटाया है, अब संयुक्त किसान संघर्ष समिति की ओर से कृषि मंत्री के बंगले पर धरना शुरू किया जाएगा, इसके लिए 22 फरवरी को दोपहर 12 बजे से किसान नेता कलेक्टर से मुलाकात करके अनुमति की मांग करेंगे।

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ग्वालियर में होगी महापंचायत, राकेश टिकैत सहित बड़े किसान नेताओं के देंगे आमंत्रण

बैठक में सर्व सम्मति यह भी निर्णय हुआ कि कृषि कानूनों के खिलाफ अभियान को और तेज किया जाएगा तथा गांव गांव से कृषि कानून (Agricultural Laws) वापिस लेने के लिए किसानों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे। इसके अलावा गाँव गाँव में पंचायत की जायेंगी जिसमें कृषि कानूनों की कमियों को उजागर किया जायेगा। साथ ही ग्वालियर में एक महापंचायत की जायेगी जिसमें राकेश टिकैत सहित दिल्ली किसान आंदोलन से जुड़े सभी बड़े नेताओं को आमंत्रित किया जायेगा।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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