पूर्व मंत्री को मिल सकता है भाजपा की जीत का तोहफ़ा, सीएम ने दिए संकेत

Gaurav Sharma
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देवास, सोमेश उपाध्याय। मध्यप्रदेश में सम्पन्न उपचुनाव के बाद सरकार की स्थिरता के साथ ही निगम मंडलों की दावेदारी भी शुरू हो गई। भाजपा नेताओं ने इन पदों के लिए अपनी लॉबिंग भी शुरू कर दी है। निकाय चुनावों से पूर्व निगम मंडलों की नियुक्ति तय मानी जा रही है। ऐसे में देवास जिले में प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री दीपक जोशी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।

हॉटपिपल्या में भाजपा की प्रचण्ड जीत के बाद भाजपा पूर्व मंत्री जोशी को निगम मण्डल में स्थापित कर उपकृत करेंगी। मतदान के नतीजों के तुरंत बाद 11 नवम्बर को पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा की जयंती कार्यक्रम और उसके बाद मंगलवार 24 नवम्बर को जोशी के पिता व पूर्व सीएम स्व.कैलाश जोशी की जयंती कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान जोशी से गर्मजोशी से मिलते हुए दिखाई दिए।

वही उपचुनाव के पूर्व भोपाल में भी सीएम चौहान ने सार्वजनिक रूप से संकेतो में स्पष्ठ किया था कि दीपक जोशी का पूर्व की भांति सम्मान बरकरार रहेगा। वही इस सम्बंध में दीपक जोशी का स्पष्ठ कहना है कि वे भाजपा के साधारण कार्यकर्ता है। और कार्यकर्ता के रूप में पार्टी का कार्य करते रहेंगे। साथ पार्टी जो भी जिम्मेदारी देंगी, उसका बखूबी पालन करेंगे।

ये नाम भी शामिल-

जोशी के साथ ही देवास जिले से निगम मण्डल की रेस में पूर्व विधायक डॉ तेजसिंह सैंधव, ब्रजमोहन धुत, पूर्व पापुनि अध्यक्ष रायसिंह सिंह सैंधव, पूर्व जिलाध्यक्ष नन्दकिशोर पाटीदार, बहादुर मुकाती, नारायण व्यास, पोपेंद्र सिंह बग्गा शामिल है। निगम मण्डल या संगठन में इन नामों से भी सहमति बनने की सम्भावना है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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