Gwalior News- सिंधिया ने गलतियों के लिए मांगी क्षमा, कांग्रेस के लिए कही ये बड़ी बात

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारतीय जनता पार्टी (BJP)  के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने शनिवार को ग्वालियर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुझसे जाने अनजाने में यदि कोई गलती हुई हो तो मुझे क्षमा करें। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा इस सिद्धांत को अपनाता हूँ। वहीं गोडसे (Godse) समर्थक नेता के कांग्रेस (Congress) में जाने के बाद मचे बवाल पर सिंधिया (Scindia) ने कहा कि जो राजनैतिक दल सिद्धांतों और मूल्यों से पूरी तरह शून्य हो जाये उसकी यही स्थिति होती है।

ग्वालियर के दौरे पर शनिवार को ग्वालियर पहुंचे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। वे फूलबाग मैदान पर चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव में शामिल हुए। उन्होंने मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज और मुनिश्री विजयेश सागर महाराज आशीर्वाद लिया। सिंधिया (Scindia) ने मंच से सम्बोधन में आयोजकों को बधाई दी और  उपस्थित लोगों से जाने अनजाने में हुई गलतियों पर क्षमा भी मांगी।  मीडिया से बात करते हुए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कहा कि मैंने संतों का आशीर्वाद लिया है। ये सौभाग्य की बात है कि संतों का आशीर्वाद ग्वालियर को मिल रहा है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि प्रदेश में सुख समृद्धि और खुशहाली आये और कोरोना का खात्मा हो। मंच से क्षमा मांगने के सवाल पर सिंधिया (Scindia) ने कहा कि ये जैन समाज की महानता है जो क्षमावाणी का पर्व मनाते है और उसमें हर व्यक्ति को जाने अनजाने में हुई गलतियों की माफ़ी मांगी चाहिए।  इस भावना को मैं हर साल अपने आप ही अपनाता हूँ और जाने अनजाने में मुझसे कोई गलती हुई हो मैं उसके लिए माफ़ी मांगता हूँ।

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वहीं हिन्दू महासभा के पूर्व पार्षद बाबूलाल चौरसिया (Babulal Chaurasiya) के कांग्रेस (Congress) में शामिल होने के बाद मचे बवाल पर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस (Congress) की जो स्थिति है वह ऐसी घटनाओं से जनता के समक्ष आ जाती है। कहते हो कुछ और करते हो कुछ। उन्होंने कहा कि जिंदगी में कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए और जो राजनैतिक दल सिद्धांतों और मूल्यों से परं रूप से शून्य हो जाए तो यही स्थिति होती है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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