जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (madhya prades highcourt) के 10 दिन के भीतर मध्यप्रदेश में कोरोना वॉरियर्स (corona warriors) डॉक्टर के लिए ड्यूटी नीति तय करने के निर्देश देने के बाद भी अब तक इस पर कार्य नहीं किया गया है। जिसके बाद एक बार फिर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार को इस मामले में निर्देश दिए हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश में 11 अप्रैल 2020 से ही डॉक्टरों की लगातार ड्यूटी लगाई जा रही है। वही इन डॉक्टरों को शहर के बाहर ड्यूटी दी जा रही है। जिससे कई महीनों से वह अपने घर नहीं जा सके हैं। इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए शनिवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य शासन को कोरोना ड्यूटी नीति (Corona duty policy) पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ एक डॉक्टर की ड्यूटी की समय अवधि और इससे जुड़ी अन्य रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए है।
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ज्ञात हो कि न्यायमूर्ति की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की गई। जहाँ याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसके साथ अन्य डॉक्टर की 11 अप्रैल 2020 से लगातार कोरोना ड्यूटी लगाई जा रही है। जिसके बाद उन्हें ड्यूटी से राहत नहीं दी गई है जबकि कोरोना ड्यूटी में लगे डॉक्टर को राहत मिलनी चाहिए और दूसरे डॉक्टर को ड्यूटी पर लगाया जाना चाहिए।
इस मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पहले राज्य शासन को कोरोना ड्यूटी नीति तैयार करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। जिसके बाद राज्य शासन ने याचिकाकर्ता को कोरोना ड्यूटी से मुक्त कर दिया था। लेकिन इस मामले में अभी तक कोरोना ड्यूटी पॉलिसी तैयार नहीं की गई है। जिस पर एक बार फिर हाईकोर्ट ने राज्य शासन को जल्द से जल्द कोरोना ड्यूटी की पॉलिसी तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश में कोरोना शुरू होने के बाद से ही कोरोना वॉरियर्स डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई गई है। ड्यूटी में लगे कोरोना वॉरियर्स को अपने शहर से बाहर रहना पड़ रहा है जिसके बाद डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें थोड़ी राहत दी जाए और रोटेशन प्रक्रिया के तहत अन्य डॉक्टर को ड्यूटी पर लगाया जाए। इसके साथ ही साथ डॉक्टरों की मांग है कि ड्यूटी पर लगाए जाने की समय अवधि भी तय की जाए। कोरोना काल के शुरू होने के बाद से मध्यप्रदेश में डॉक्टर लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। जिसके लिए उन्हें अपने परिवार से दूर अन्य जगहों पर रहना पड़ रहा है।