जबलपुर हाई कोर्ट का फैसला, ना सिर्फ लेना बल्कि रिश्वत देने भी है अपराध

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जबलपुर,डेस्क रिपोर्ट। अब सिर्फ रिश्वत (Bribe) लेना ही नहीं बल्कि रिश्वत देना भी समान दर्जे का अपराध माना जाएगा। यह फैसला जबलपुर हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। दरअसल चपरासी की नौकरी (Peon Job) पाने के लिए 5 लोगों ने रिश्वत दी थी। हाई कोर्ट जस्टिस अतुल श्रीधरन( Highcourt Justice Atul Shridharan)  की एकलपीठ (Single bench) ने रिश्वत देने वालों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of corruption act) के तहत प्रकरण दर्ज (Case registered) करने के आदेश जारी किए हैं।

कोर्ट ने जबलपुर की सिविल लाइन थाना पुलिस को अदालत में चपरासी की नौकरी पाने के लिए रिश्वत देने वाले कीर्ति चौरसिया, लाल साहब साहू, कंचन चौरसिया, शिल्पा कोरी और तरुण कुमार साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है। साथ ही रिश्वत लेने वाले आरोपी टीकाराम शर्मा जो कि जबलपुर के रांझी क्षेत्र का रहने वाला हैं उसकी अग्रिम जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।