जयभान सिंह पवैया का बड़ा बयान, आजादी के आंदोलन से भी बड़ा था अयोध्या आंदोलन

जयभान सिंह पवैया

ग्वालियर, अतुल सक्सेना| अयोध्या में स्थित बाबरी ढांचे को देश के लिए कलंक कहने वाले कट्टर हिंदूवादी नेता, भाजपा के पूर्व मंत्री एवं बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन (Freedom Movement) को देश का सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है लेकिन मेरे हिसाब से अयोध्या आंदोलन (Ayodhya Movement) आजादी के आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन था। उन्होंने कहा कि ये प्रमाणित हो चुका है राम हमारे रगों में बसते हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि भारत कि धड़कन संसद और विधानसभा से नहीं चलती ये अयोध्या, काशी और मथुरा से चलती है।

बाबरी ढांचा विध्वंस मामले  (Babri Masjid Demolition Case) में बरी हुए पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ के संपादक वीरेंद्र शर्मा (Virendra Sharma) से खास बात करते हुए ना सिर्फ आंदोलन से जुड़े अपने अनुभव साझा किये बल्कि राम को लेकर बहुत सारगर्भित बातें कहीं। जयभान सिंह पवैया ने कहा राम में आस्था रखने वालों का सपना पूरा होने में 25-30 नहीं लगभग 500 साल लग गए। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष का इतिहास वही नहीं है जो 1984 में सरयू के तट से शुरू हुआ था जिसका साक्षी में बना था याद रखें कि 1528 में जब बाबर के सेनापति मीर बाकी ने जब राम के अवतरण स्थली के मंदिर को ध्वस्त किया था उस समय एक लाख 76 हजार हिंदू दीवारों से चिपक गए थे, सर कटते गए लहू बहता गया और हिंदुओं के खून का गारा बनाकर उस मंदिर के अवशेषों से जो खड़ा किया गया था उसका नाम बाबरी ढांचा हुआ करता था। दुर्भाग्य से कुछ लोग इसे बाबरी मस्जिद कहते थे। उस रक्त रंजीत ढांचे को ध्वस्त होने और भगवान राम का भव्य मंदिर निर्माण शुरू होने में पांच सौ साल लग गए। उन्होंने कहा कि उस समय कि अनुभूति आप मुझसे शब्दों में नहीं पूछ सकते। जब हम राम जन्मभूमि के शिलान्यास के समय बैठे थे उस समय आंसू भी आ रहे थे और रोमांचित भी हो रहे थे क्योंकि भारत की न्याय पालिका इतना ऐतिहासिक, स्पष्ट और साहसिक फैसला भी दे सकती है ये कल्पना नहीं थी, अधिकार हमें मिलेगा ये तो सोचा था। लेकिन इस तरह का फैसला भी हो सकता है सोचा नहीं था। इसलिए मैं जन्म जन्मांतर का पुण्य मानता हूँ कि अपनी आँखों से मेरे परमात्मा भगवान श्री राम का भव्य राम मंदिर का निर्माण इस पीढ़ी के सामने हो रहा है और एक गिलहरी की तरह तिनका रखने का अवसर भी इस शरीर को मिला है।

… और सूर्यास्त होते होते कलंक था वो धूल के गुबार में तब्दील हो गया
घटना वाले दिन को याद करते हुए और अदालत में दिये बयान को दोहराते हुए पवैया ने कहा कि मैंने अदालत में बोला है कि 6 दिसंबर को हम उसी मैदान पर थे। लेकिन हम लोग राम कथा कुंज के मंच पर थे। देश के 20 या 22 नेता उस समय वहाँ रहे होंगे। मध्यान्ह काल के तत्काल बाद अचानक भीड़ में हलचल पैदा हुई, कुछ युवा और वीरांगनाएँ ढांचे पर चढ़ गए। विध्वंस शुरू हुआ पहले बाईं ओर का फिर ढाई ओर का ढांचा गिरा और फिर सूर्यास्त होते होते जो कलंक था वो धूल के गुबार में तब्दील हो गया। और उस समय केवल राम नाम ही सुनाई दे रहा था। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैं धार्मिक आस्था पर जीने वाला व्यक्ति हूँ ये चमत्कार था हनुमान जी का, किसको प्रेरणा मिली कोई कैसे चढ़ गया, सुदर्शन जी ने पांचजन्य में एक आर्टिकल लिखा था कि इतिहास घटाया नहीं जा सकता घटित होता है। वो इतिहास घटित हो रहा था भारत कि धरती पर। ये योजनाबद्ध नहीं था ये अदालत ने भी माना है। लेकिन मुझे गौरव होता है। वो घटना पूर्व नियोजित नहीं थी वो घटना परमात्मा की कृपा से भारत की धरती पर हो रही थी। आखिर आजाद हिंदुस्तान गुलामी के उस चिन्ह को कब तक ढोता और क्यों?

.. आजादी के आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन था अयोध्या आंदोलन
एक सवाल के जवाब में पवैया ने कहा कि मैं एक सकारात्मक व्यक्ति हूँ । हम तो ऐसे पथिक हैं जो आशा और सिर्फ आशा के अलावा कुछ देखते नहीं। उन्होंने कहा कि ये अयोध्या आंदोलन विश्व का सर्वाधिक व्यापक आंदोलन था इसकी तुलना किसी आंदोलन से नहीं कर सकते। भारत में आजादी के आंदोलन को सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है लेकिन याद रखिये आजादी का आंदोलन अयोध्या आंदोलन से छोटा आंदोलन था इस मामले में कि वो शहरों तक कुछ कस्बों तक था लेकिन अयोध्या आंदोलन में साढ़े तीन लाख गांवों ने हिस्सेदारी की थी। इसलिए इतना बड़ा आंदोलन सिर्फ भारत के आत्म सम्मान को जगाने के लिए था। स्वाभिमान को जगाने का आंदोलन था। पवैया ने कहा कि बिना राम के भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। राम हमारे रगों में बसते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की धड़कन संसद या विधानसभा से नहीं चलती। भारत की धड़कन अयोध्या, काशी और मथुरा से चलती है। मेरा राम तो बहुत कृपालु है रावण और हिरण्य कश्यप को भी उसने अपना लिया था कोई एक बार इसकी शरण में आकर तो देखे। उसका जीवन को देखने का नजरिया बदल जायेगा।

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