काली पट्टी बांधकर जूनियर डॉक्टर्स ने जताया विरोध, 1 जून से इमरजेंसी सेवाएं करेंगे बंद

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  पिछले 6 माह से निरंतर अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए शासन से मांग कर रहे जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) का धैर्य अब टूट रहा है। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने भी अब हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया है। जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने आज सोमवार को विरोध स्वरुप काली पट्टी बांधकर काम किया लेकिन चेतावनी दी कि वे 01 जून से इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर देंगे।

ग्वालियर जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा (Dr Devendra Sharma) ने कहा कि हम कई बार सरकार की बात पर भरोसा कर हड़ताल पर जाने का फैसला वापस ले चुके हैं। कोरोना काल (Corona Era) में भी जूनियर डॉक्टर्स ने लगातार 24 घंटे सेवाएं दी है लेकिन सरकार फिर भी हमारे बारे में नहीं सोच रही।

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जूनियर डॉक्टर्स अध्यक्ष ने कहा कि इसी महीने 6 मई 2021 को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिले ठोस आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने मानवता की दृष्टि से मरीज़ों की भलाई हेतु हड़ताल को स्थगित करने का फैसला लिया था। परंतु इसके उलट सरकार ने जूनियर डॉक्टर्स  से वादाखिलाफी की है जिससे यह मालूम पड़ता है कि सरकार को जनता की कोई फिक्र नहीं है।

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जूनियर डॉक्टर्स अध्यक्ष ने कहा कि इस वादाखिलाफी से सरकार के प्रति जूनियर डॉक्टर्स का अविश्वास बढ़ा है एवं सरकार ने अब जूनियर डॉक्टर्स को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर कर दिया है। इस फैसले के बाद आज सोमवार  31 मई को जूनियर डॉक्टर्स ने  हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।  जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि उचित आदेश प्राप्त न होने की स्थिति में मंगलवार 01 जून से ओपीडी एवं ईमरजेंसी सेवाएं बन्द कर दी जाएगी। इसके बाद भी सुनवाई न होने की स्थिति में 02 जून से कोविड सेवाएं भी अनिश्चितकालीन के लिये बंद कर दी जाएँगी जिसकी पूरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश सरकार की होगी।

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जूनियर डॉक्टर्स की लंबित मुख्य मांगें-
(1) रूरल बॉन्ड की मांग के लिए समिति का गठन किया जाना था।
(2) कोविड-19 में लगे चिकित्सकों के परिजनों को भी निशुल्क चिकित्सीय सहायता का लाभ देने की बात हुई थी।
(3) स्टाइपेंड में हर साल 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी को माना गया। यही नहीं पहले साल 24 प्रतिशत स्टाइपेंड बढ़ाने की बात हुई थी। इसके अलावा भी कुछ और मांगे थी जिन्हें सरकार ने स्वीकार करने की बात कही थी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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