मध्यप्रदेश उपचुनाव : पारुल साहू का बयान-गोविंद सिंह राजपूत को हजारों वोटों से हराउंगी

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश उपचुनाव-2020 (Madhya Pradesh by-election -2020) के लिए कांग्रेस ने दूसरी लिस्ट जारी कर दी है, इसमें 9 और उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए है। एक बार फिर कांग्रेस ने दल बदलुओं पर भरोसा जताया है, जिनमें हाल ही में भाजपा (BJP) से कांग्रेस (Congress) में शामिल हुई पूर्व विधायक पारुल साहू को सुरसी विधानसभा सीट से टिकट दिया है। नाम का ऐलान होने के बाद पारुल साहू का बड़ा बयान सामने आया है।

पारुल साहू ने सुरसी से टिकट देने पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ (Kamalnath) का आभार जताया है। वही शिवराज सरकार (Shivraj government)  में परिवहन मंत्री और सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) का दावा किया है। पारुल साहू का कहना है कि सुरखी में डर और अहंकार को खत्म करना है। इस बार हजारों वोटों से गोविंद राजपूत को हराउंगी, क्योंकि यह चुनाव सुरखी की जनता लड़ रही है।

इसके पहले कांग्रेस में शामिल होते ही पारुल ने कहा था कि चुने हुए जनप्रतिनिधि ने कांग्रेस परिवार और सुरखी की जनता के स्वाभिमान को चोट पहुंचाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जनमत और लोकतंत्र को बेचकर सुरखी में जिस तरह से अहंकार और डर का बोलबाला हो रहा है, उसे समाप्त करने का मैंने बीड़ा उठाया है। कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और सुरखी की जनता की ताकत के बल पर एक बार फिर वहां लोकतंत्र और जनमत का परचम लहराएगा।

रोचक होगा मुकाबला

उपचुनाव में पारुल साहू शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को टक्कर देंगी।  हालांकि यह पहला मौका नही है , इसके पहले पारुल 2013 के विधानसभा चुनावों में राजपूत को हरा चुकी है, लेकिन अब परिस्थियां अलग बन चुकी है, पहले पारुल भाजपा में थी और राजपूत कांग्रेस में थे, लेकिन अब पारुल कांग्रेस में और राजपूत भाजपा में है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो अब के उपचुनाव में फर्क केवल इतना है कि जो पहले कांग्रेस प्रत्याशी थे वह अब भाजपा प्रत्याशी हैं और जो पहले भाजपा प्रत्याशी थी वह अब कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी हैं।

भाजपा में हलचल, कैबिनेट मंत्री की साख दांव पर

उपचुनाव में कांग्रेस के इस दांव ने सागर और सिंधिया के सियासी खेमे मे हलचल मचा दी है। एक तरफ पारुल की छवि एक भद्र राजनीतिज्ञ के रूप में मानी जाती है और विदेश से पढ़ाई करके वापस लौटी पारुल हमेशा सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए मुद्दों को उठाने को लेकर चर्चा में रही हैपारुल की छवि एक भद्र राजनीतिज्ञ के रूप में मानी जाती है और विदेश से पढ़ाई करके वापस लौटी पारुल हमेशा सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए मुद्दों को उठाने को लेकर चर्चा में रही है। कांग्रेस छोड़कर आए राजपूत के लिए व्यक्तिगत तौर पर यह चुनाव अहम है तो वहीं इस चुनाव के नतीजों का बुंदेलखंड की राजनीति पर असर होना तय है। इसकी वजह भी है, क्योंकि सागर जिले से शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में गोपाल भार्गव (Gopal Bhargav) भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री है। भाजपा भी सुरखी विधानसभा क्षेत्र (Surkhi Assembly Constituency) को लेकर गंभीर है। यही कारण है कि पार्टी जहां घर-घर तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजपूत ने मतदाताओं का दिल जीतने के लिए रामशिला पूजन यात्रा (Ramalila Poojan Yatra) निकाली और भाजपा कार्यकर्ताओं से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं। खैर अब चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि दोनों दिग्गजों का दल बदलना कितना सार्थक रहा और जनता ने किसे चुना।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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