भोपाल।
निसर्ग तूफ़ान(Nisarg cyclon) से हुई दो दिन लगातार बारिश के बाद प्रदेश के उपार्जन केंद्रों पर रखा लाखों मीट्रिक टन गेहूं(wheat) और चना भीग गया है। वहीँ अंदेशा लगाया जा रहा है कि यदि दो तीन और बारिश(rain) हुई तो गेहूं को काफी नुकसान हो सकता है। इसी बीच प्रदेश में नई सियासत(new politics) शुरू हो गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ(former minister kamalnath) ने बारिश में भींगें लाखों टन गेहूं के ममले में सरकार(government) को घेरना शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अव्यवस्था से करोड़ों रुपए का लाखों टन गेहूं भीगा।
दरअसल कमलनाथ ने गेहूं भीगने पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने ट्वीट(tweet) करते हुए कहा है कि कहीं बारदाने की कमी है, कहीं परिवहन की व्यवस्था नहीं है और कहीं तुलाई नहीं हो रही। किसानों के गेहूं और चने बहार उपार्जन केंद्रों में पड़े हैं ये सरकार की विफलता है कि निसर्ग की चेतावनी के बावजूद सरकार ने भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं की। हजारों किसान आज भी खरीदी केंद्रों के सामने लंबी लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। उन्होंने शिवराज सरकार(shivraj government) से मांग की है कि किसानों का बारिश में भीगा गेहूं भी खरीदा जाए। खरीदी केंद्रों पर बारदानों व अन्य अव्यवस्थाओं को जल्द से जल्द दूर किया जाये। खुले में पड़े अनाज के लिए परिवहन व भंडारण की उपयुक्त व्यवस्था की जाए। उन्होंने ये भी कहा है कि जब तक सभी किसानों से पूरा गेहूं खरीद नहीं लिया जाता, तब तक सरकार खरीदी जारी रखे। वहीँ गेहूं-चना भीगकर खराब होने से हुए नुकसान की जिम्मेदारी तय हो।
बता दें कि मध्य प्रदेश(madhyapradesh) में बुधवार रात से शुरू हुई बारिश के कारण उपार्जन केंद्रों में रखा लाखों मीट्रिक टन गेहूं और चना भीग गया है। वहीँ बंपर खरीदारी के बीच समितियों के पास गेहूं को ढंकने के लिए इंतजाम सीमित हैं। इससे समितियों की मुसीबत बढ़ गई है क्योंकि उपार्जन केंद्रों पर भींगें गेहूं का भार नियम के मुताबिक अब उन्हें ही वहां करना होगा। नियम के मुताबिक जब तक गोदामों में सुरक्षित भंडारण नहीं हो जाता, तब तक अनाज समितियों का माना जाता है। ऐसे में जो भी नुकसान होता है वह समितियों को भुगतना पड़ता है।