शांति और सद्भावना से मनाया गया मोहर्रम, ऑनलाइन सुना गया करबला का बयान

Kashish Trivedi
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जबलपुर, संदीप कुमार। अनलॉक प्रकिया शुरू होने के बाद जारी रविवार रात का लॉकडाउन में मिला जुला असर देखा गया। कई जगह पुलिस बेरीकेट लगाकर फालतू घूमने वालों का चालान कर रही थी। वहीं इस्लाम धर्मावलम्बियों के दस दिवसीय शहादत की दास्तान वाले मातमी पर्व मोहर्रम की दस तारीख होने से मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चहल-पहल तो रही किन्तु जुलूस का माहौल नहीं रहा। इमामबाड़ों में ही सवारी और ताजिया ठंडे किए गए। वहीं शहादती कलाम की गूंज रही है। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर मातम मनाते हुए नगर के शिया मुसलमानों ने आशूरा दस तारीख पर घर-घर मातम की मजलिस का आयोजन किया। आनलॉइन करबला का बयान देखा सुना गया।

जिक्र किया गया।रानीताल का जो हिस्सा करबला कहा जाता है वहां साफ सफाई जरूर कराई गई किन्तु विसर्जन के लिए वहां किसी को जाने नहीं दिया गया रास्ते में जगह-जगह पुलिस तैनात रहा। लोगों को रोकने बोर्ड लगा दिया गया था।यह सवारी ताजिए मंडी मदार टेकरी भान तलैया रजा चौक, गढ़ा मुजावर मोहल्ला और, शहर के विभिन्न जगहों की थी पर कोरोना महामारी के चलते इस साल जुलूस नहीं निकले। सवारी, ताजिया इमामबाड़ों में ही ठंडे किए गए। हालांकि नौवीं तारीख यानि शहादत की रात को भी सवारियां आदि गश्त पर सिर्फ औपचारिक रूप से ही निकल सकी, न इस साल कहीं अलावा जलाया जा सका न ही सार्वजनिक रूप से रौनक के साथ जिक्र-ए-शहादतैन सुनाई दिया। सवारी ताजिए रखने वाले बाबाओं ने शेर-ए-हिंदुस्तान के लिए करोना महामारी खत्म हो जाए ऐसी दुआ की और हिंदुस्तान तरक्की करें।


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