MP News: खबर का असर- मंत्री की फटकार के बाद रोकी गई जेल विभाग की अटैचमेंट निरस्त सूची

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जेल विभाग (jail department) के महानिदेशक अरविंद कुमार (arvind kumar) द्वारा आनन-फानन मे बुधवार को जिला अधीक्षको (District Superintendent), उप जेल अधीक्षको (Deputy Jail Superintendents) और सहायक जेल अधीक्षको के अटैचमेंट की सूची (attachment list) निरस्त करने का आदेश रोक दिया गया है। दरअसल जेल विभाग में तकरीबन तीन दर्जन के करीब अधिकारी थे। जिनको कार्य में लापरवाही या किसी अन्य वजह से मूल स्थापना की हटाकर अटैच कर दिया गया था।

पूरा मामला जेल मंत्री के संज्ञान में लाया गया था और इसमें सबसे महत्वपूर्ण मध्य प्रदेश में बसपा की फायर ब्रांड नेता रामबाई के विरोध के बाद हटाए गए दमोह जेल अधीक्षक थे। रामबाई (rambai) ने आदेश निकलने के बाद कड़ी आपत्ति जताई और जेल मंत्री से बात भी की थी।इस पर मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा (narottam mishra) ने तुरंत आदेश पर रोक लगाने के निर्देश दिये।

क्या था मामला

बुधवार को बसपा की तेजतर्रार फायर ब्रांड विधायक रामबाई एक बार फिर नाराज हो गयी। वजह इस बार जेल विभाग के अधिकारी थे। दरअसल दमोह जेल में रामबाई के पति चौरसिया हत्याकांड मे अंदर है और रामबाई ने तत्कालीन जेलर नारायण सिंह राणा पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था और इसकी शिकायत जेल मंत्री और मुख्यमंत्री तक से की थी। इसके साथ-साथ नारायण सिंह पर महिला छेड़खानी के भी आरोप लगे थे।

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जिसके बाद उन्हें दमोह जेल से हराकर जबलपुर अटैच कर दिया था लेकिन बुधवार को निकले एक आदेश में विभिन्न स्थानों पर अटैच किए गए जेल अधीक्षको, उप जेल अधीक्षको और सहायक जेल अधीक्षको को उनके मूल स्थान पर भेजा गया था। उसमें नारायण सिंह राणा का भी नाम था और उन्हें एक बार फिर दमोह जेल में पदस्थ कर दिया गया था। जिसे लेकर रामबाई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और साफ कहा था कि वे जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से मिलकर इसकी शिकायत दर्ज कराएंगी।

जेल महानिदेशक अरविंद कुमार के हस्ताक्षर से जारी 33 लोगों की सूची में कुलवंत सिंह धुर्वे नाम के जिला जेल अधीक्षक भी शामिल था जो शराब पीकर बस स्टैंड पर गिरे होने के गंभीर आरोप के दोषी थे और कलेक्टर की रिपोर्ट पर उन्हें भी अटैच किया गया था। संतोष कुमार गणेशे नाम के उप अधीक्षक जेल की मंडला जेल में पदस्थापना के समय दो कैदी भाग गए थे जिसके बाद उन्हें भी अटैच किया गया था लेकिन उन्हें एक बार फिर जिला जेल में पदस्थ कर दिया गया था।

इंद्र देव तिवारी जो बैढन की जिला जेल में पदस्थ उप अधीक्षक थे उन्हें बंदियों की जांच नहीं कराने का खामियाजा भुगतना पड़ा था और उस जेल में 45 कोरोना पीङित मिले थे। इसके बाद कलेक्टर की रिपोर्ट पर उन्हें भी ऑफिस अटैच कर दिया गया था। लेकिन इस आदेश में उन्हें एक बार पुणे बैढन में ही पदस्थापित कर दिया गया था। अधिकारियों द्वारा जारी की गई इस सूची की जानकारी जेल मंत्री तक पहुंची थी ।


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