MP News: नर्सेस हड़ताल अवैध घोषित, हाई कोर्ट ने काम पर वापस लौटने के निर्देश दिए

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश (MP) में पिछले 8 दिनों से जारी नर्सेस की हड़ताल (Nurses Strike) को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने अवैध घोषित कर दिया है, नर्सेस हड़ताल के खिलाफ लगी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सख्त आदेश दिए हैं कि सभी नर्सेस अपनी हड़ताल को खत्म करते हुए तुरंत काम पर लौटे, साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को भी आदेश दिए हैं कि नर्सेस की जो मांगे है उसके लिए भी कमेटी गठित कर उसका एक महीने में निराकरण करें।

नागरिक उपभोक्ता मंच ने लगाई थी याचिका

कोरोना संक्रमण काल में अपनी मांगों को लेकर नर्सेस का हड़ताल पर जाना जनहित को देखते हुए ठीक नहीं है लिहाजा इसको देखते हुए नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में आज सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने हड़ताल पर बैठी प्रदेश भर की नर्सेस को कल से ही काम पर वापस जाने के आदेश दिए है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले दिनों एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए पहले ही डॉक्टरों-नर्सो की सेवा को  अति आवश्यक बताया था इसके बाद भी नर्सेस हड़ताल पर चली गई।

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हड़ताल के समय का भी सरकार दे नर्सो को वेतन

हाई कोर्ट ने जहाँ कोरोना काल में नर्सेस की सेवा को अति आवश्यक मानते हुए कल से वापस काम पर लौटने के आदेश दिए है तो वहीँ राज्य सरकार से भी कहा है कि नर्सेस ने जितने भी दिन काम बंद कर हड़ताल की है उसका वेतन न रोकें  , यानि “ब्रेक इन सर्विस” न करें , इसके अलावा हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा है कि नर्सेस ने अपनी मांगों को लेकर जो हड़ताल की थी उस पर भी राज्य सरकार विचार करे।

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राज्य सरकार करे चार सदस्यीय कमेटी गठित

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा दायर की याचिका में सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि नर्सेस की मांगों के निराकरण हेतु डायरेक्टर हेल्थ-वित्त सचिव की सदस्यता वाली 4 सदस्यीय कमेटी बनाए जो कि एक माह में नर्सेस की मांगों पर विचार कर फैसला ले इसका निराकरण करे।

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एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा, विस्तृत आदेश आने के बाद कुछ कहेंगे 

उधर हाई कोर्ट के आदेश के बाद जब एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने मध्यप्रदेश नर्सेस एसोसिएशन की अध्यक्ष रेखा परमार से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी आने दीजिये उसके बाद ही वे कुछ कहेंगी। यहाँ बता दें कि रेखा परमार भी हाई कोर्ट ने नोटिस पर नर्सेस की तरफ से पक्ष रखें जबलपुर हाई कोर्ट पहुंची थी।

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गौरतलब है कि पिछली 12 मई से 12 सूत्रीय मांगों को लेकर मध्यप्रदेश ने नर्सेस आन्दोलन कर रही हैं।  उन्होएँ चरणबद्ध आंदोलन के तहत  सांकेतिक धरना, प्रदर्शन, काली पट्टी बांधकर काम करना, पीपीई किट पहनकर काम कर विरोध जताया है लेकिन जब सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो 30 जून से नर्सेस अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई थी ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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