डबरा,सलिल श्रीवास्तव। राजनीति में सब कुछ संभव है, इसका उदाहरण आज उस समय देखने को मिला जब क्षेत्र को पहचान देने वाले कैलाशवासी माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) की जयंती के अवसर पर ना तो कांग्रेसी, ना भाजपाई और ना ही राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ गए उनके समर्थकों ने प्रतिमा पर पहुँचकर माल्यार्पण करना मुनासिब समझा। जबकि पूर्व में सुबह से ही कांग्रेसियों का जमावड़ा प्रतिमा के पास लग जाता था और उसे मालाओं से लाद दिया जाता था साथ ही नेता अपने अपने फोटो खींचा कर उसे लोगों को दिखाते नहीं थकते थे।
सबसे बड़ी बात इस क्षेत्र में कांग्रेसी विचारधारा की जनता है और कांग्रेसी विधायक हैं पर किसी ने भी इस प्रतिमा के पास जाना मुनासिब नहीं समझा। भाजपाई तो कभी भी माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए नहीं पहुंचे पर जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए तो कई निष्ठावान कांग्रेसी भाजपा के दामन में आ गए पर आज कांग्रेसी कहें या भाजपाई उन्होंने भी इस प्रतिमा के पास जाना जरूरी नहीं समझा।
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जब आम लोगों ने कैलाशवासी माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) की प्रतिमा को बिना फूल मालाओं के देखा तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने ही उस प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दिया। सबसे बड़ी बात ये है कि डबरा में जिस जगह सिंधिया की प्रतिमा लगी है उस चौक को भी माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) चौराहे के नाम से जानते हैं और हर कोई आने जाने वाला वहीं से होकर गुजरता है पर आज यह प्रतिमा किसी को क्यों नहीं दिखी इस बात से तो सिर्फ इतना ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि समय बड़ा बलवान है और राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता।