इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। देवी अहिल्या बाई (Ahilyabai) की नगरी इंदौर (Indore) में आज उस वक्त विरोध के स्वर गूंज उठे जब इंदौर की लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर (Ahilyabai Holkar) के नाम को हटाकर शिवराज सरकार (Shivraj Government) के मंत्री के दादाजी के नाम को आगे कर दिया गया। दरअसल, मामला मध्यप्रदेश के गुना से जुड़ा है। जहां गुना के देवी अहिल्याबाई होलकर (Ahilyabai Holkar)चौराहे और सड़क का नाम बदलकर सिंधिया (Scindia) समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के दादाजी स्व.सागर सिंह सिसौदिया के नाम पर कर दिया। वहीं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने भारी भीड़ के बीच न्यू टेकरी सड़क का नाम भी बदलकर स्व.सागर सिंह सिसौदिया के नाम रखने का एलान कर दिया। इसके खिलाफ इंदौर में लोगों ने सिंधिया (Scindia) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उन्हें सद्बुद्धि देने की मांग कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक गुना में चौराहे की जमीन के दानदाता को जब इस बात की जानकारी लगी तो वो 1 मार्च को कार्यक्रम के दौरान विरोध जताने लगे लेकिन उनकी एक न सुनी गई और आखिर में उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया।
इधर, लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर (Ahilyabai Holkar) के शहर इंदौर में गुना में बदले गए नाम को लेकर विरोध शुरू हो गया है। अहिल्या की नगरी के लोगों ने गुरुवार सुबह हृदय स्थल राजबाड़ा पर सर्व मराठी भाषी युवा संगठन के नेतृत्व में नाम बदलने का विरोध किया और अहिल्या प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को सद्बुद्धि देने हेतु ज्ञापन भी सौंपा। प्रदर्शन के दौरान हाथो में एक बेनर लिया गया जिस पर देवी अहिल्या (Ahilyabai Holkar) की तस्वीर थी और दूसरी जगह क्रॉस के निशान के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की तस्वीर थी वही बीच लिखा था कि देवी अहिल्याबाई होलकर जी सिंधिया को सद्बुद्धि दे।
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विरोध प्रदर्शन के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और मंत्री महेंद्र सिसौदिया को चेतावनी दी गई कि रविवार तक चौराहे और सड़क का नाम देवी अहिल्याबाई होलकर के नाम नहीं किया गया तो बड़ा आंदोलन किया जायेगा। प्रदर्शन के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई। नाम बदलने की सियासत के इस दौर में एक बार फिर सवाल उठ रहे है कि नाम बदलना वर्तमान परिपेक्ष्य में कितना जायज है ?